दिग्गज जिनके एयरलाइन का निकला 'जनाजा', पैसा भी डूबा साख भी गई

Go First Airlines: भारत की एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट इन दिनों बहुत खराब वित्तीय स्थिति से गुजर रही है। कंपनी ने स्वैच्छिक दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी लगा दी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में 29 साल के भीतर 27 एयरलाइन कंपनियां अपना बिजनेस बंद कर चुकी हैं।

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भारत में एयरलाइन कंपनी चलाना काफी मुश्किल रहा है

मुख्य बातें
  • 29 साल में बंद हो चुकी हैं 27 एयरलाइन कंपनियां
  • 1994 में शुरू हुई थी प्राइवेट एयरलाइन बिजनेस
  • बेहद खराब वित्तीय स्थिति से गुजर रहा है गो फर्स्ट

Go First Airlines: गो फर्स्ट एयरलाइन पर संकट के गहरे बादल मंडराने के साथ ही भारतीय एविएशन इंडस्ट्री में एयरलाइन कंपनियों की चुनौतीपूर्ण स्थिति एक बार फिर उजागर हो गई है। करीब तीन दशक पहले प्राइवेट एयरलाइन कंपनियों को ऑपरेशन्स की मंजूरी मिलने के बाद से देश में हर साल औसतन एक एयरलाइन कंपनी बंद हो रही है। ऑपरेशन्स बंद करने वाली ईस्ट वेस्ट ट्रैवल्स एंड ट्रेड लिंक लिमिटेड पहली एयरलाइन थी। उसने परिचालन शुरू होने के 2 साल बाद ही नवंबर, 1996 में उड़ानें बंद कर दी थीं। उसी साल मोदीलुफ्त लिमिटेड को भी अपना बिजनेस समेटना पड़ा था।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश में सबसे पहले 1994 में प्राइवेट एयरलाइन को उड़ान भरने की अनुमति मिली थी। उसके बाद से 29 सालों में अभी तक कुल 27 एयरलाइंस को या तो अपना बिजनेस बंद करना पड़ा है या फिर किसी दूसरी कंपनी ने उनका अधिग्रहण कर लिया है।

कोरोना के बाद तेजी से बढ़ा था एयरलाइन कंपनियों का काम

हालांकि, कोविड-19 महामारी की वजह से लगी पाबंदियों पूरी तरह हटने के बाद पिछले साल से ही भारतीय विमानन क्षेत्र काफी तेजी से विस्तार कर रहा है लेकिन वित्तीय संकट से जूझ रही गो फर्स्ट के लिए इस दौर में भी अपना परिचालन करना मुश्किल होता जा रहा है। एयरलाइन मैनेजमेंट ने स्वैच्छिक दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी भी लगा दी है।

इसके पहले साल 2022 में हेरिटेज एविएशन प्राइवेट लिमिटेड ने अपना बिजनेस बंद कर दिया था। साल 2020 में भी 3 एयरलाइंस- जेक्सस एयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेक्कन चार्टर्ड प्राइवेट लिमिटेड और एयर ओडिशा एविएशन लिमिटेड ने भी उड़ान सेवाएं बंद कर दी थीं।

जेट एयरवेज और सहारा एयरलाइंस को भी बंद करना पड़ा काम

कभी देश की दिग्गज विमानन कंपनी रही जेट एयरवेज के लिए भी अप्रैल, 2019 बिजनेस बंद करने का संदेश लेकर आया। उसके बाद से इस एयरलाइन को दोबारा शुरू करने की तमाम कोशिशें भी नाकाम रही हैं। हालांकि, कर्ज समाधान प्रक्रिया के बाद इसे नए सिरे से खड़ा करने के प्रयास हो रहे हैं।

कभी सहारा एयरलाइंस के नाम से चर्चित रही जेट लाइट ने भी साल 2019 में अपना बोरिया-बिस्तर बांध लिया था। इसके पहले साल 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस को अपना बिजनेस बंद करना पड़ा था। उससे पहले किंगफिशर ने साल 2008 में डेक्कन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड (एयर डेक्कन) का अधिग्रहण किया था। बताते चलें कि देश में सस्ती फ्लाइट सर्विसेज शुरू करने का श्रेय एयर डेक्कन को ही जाता है।

साल 2017 में बंद हुईं 5 एयरलाइन कंपनियां

एविएशन सेक्टर के लिए साल 2017 काफी बुरा साबित हुआ था जब पांच एयरलाइन कंपनियां बंद हो गईं। उस साल एयर कार्निवल, एयर पेगासस, रेलिगेयर एविएशन, एयर कोस्टा और क्विकजेट कार्गो की हवाई सेवाएं ठप हो गई थीं।

इसके अलावा डेक्कन कार्गो एंड एक्सप्रेस लॉजिस्टिक्स (2014), आर्यन कार्गो एक्सप्रेस (2011), पैरामाउंट एयरवेज (2010), एमडीएलआर एयरलाइंस (2009), जग्सन एयरलाइंस (2008) और इंडस एयरवेज (2007) को भी अपना हवाई परिचालन बंद करना पड़ा था।

17 साल से बिजनेस कर रही है गो फर्स्ट

इसके पहले 1997 में दमानिया एयरवेज के नाम से चर्चित रही स्काईलाइन एनईपीसी लिमिटेड और एनईपीसी माइकॉन लिमिटेड की उड़ानें ठप हो गई थीं। लुफ्थांसा कार्गो इंडिया ने भी 2000 में परिचालन बंद कर दिया था।

अब गो फर्स्ट पर भी बंदी की तलवार लटकने लगी है। पिछले 17 साल से परिचालन कर रही एयरलाइन ने गंभीर वित्तीय संकट का हवाला देते हुए दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी एनसीएलटी के समक्ष लगा दी है।

क्या बोले गो फर्स्ट के सीईओ

हाल ही में जेट एयरवेज के मनोनीत मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) का पद छोड़ने वाले संजीव कपूर ने गो फर्स्ट की उड़ानें निलंबित होने को दुखद बताते हुए कहा कि यह उपभोक्ताओं के लिहाज से अच्छी बात नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘इतने बड़े बाजार के सिर्फ दो-तीन एयरलाइंस के ही पास केंद्रित हो जाने के बजाय कम-से-कम चार मजबूत विमानन कंपनियां होनी चाहिए।’’ कपूर ने देश में न्यूनतम दो पूर्ण सेवा एयरलाइंस होने और दो-तीन किफायती विमानन कंपनियों की मौजूदगी की वकालत की।

भाषा इनपुट्स के साथ

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    सुनील चौरसिया author

    मैं सुनील चौरसिया,. मऊ (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूं और अभी दिल्ली में रहता हूं। मैं टाइम्स नाउ नवभारत में बिजनेस, यूटिलिटी और पर्सनल फाइनेंस पर...और देखें

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