Bajaj Housing Finance IPO: बजाज हाउसिंग फाइनेंस के अलावा इन कंपनियों का आ सकता है IPO, सबसे ज्यादा इसका इंतजार
Bajaj Housing Finance IPO: टाटा संस, टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज, पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज और आदित्य बिड़ला फाइनेंस को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की उच्च स्तरीय एनबीएफसी की सूची में शामिल होने के कारण एक वर्ष के भीतर लिस्ट होना जरूरी है।
बजाज हाउसिंग फाइनेंस IPO।
Bajaj Housing Finance IPO: बजाज हाउसिंग फाइनेंस के अगले सप्ताह आने वाले आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने के बाद एक साल के भीतर कम से कम तीन और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के सूचीबद्ध होने की उम्मीद है। निवेश बैंकरों के अनुसार टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज (एचडीएफसी बैंक की एनबीएफसी शाखा) और आदित्य बिड़ला फाइनेंस वे तीन एनबीएफसी हैं जिनके आईपीओ लाने की संभावना हैं।
कई बड़ी कंपनियां रेस में
आनंद राठी एडवाइजर्स के निवेश बैंकिंग निदेशक सचिन मेहता ने कहा कि पूंजी बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले बिजनेस के लिए मांग को देखते हुए तथा मूल्यांकन के अधीन हम निश्चित रूप से कई एनबीएफसी को सूचीबद्ध होते देखेंगे। यह अपेक्षित भी है...न केवल आरबीआई की सूचीबद्ध होने की आवश्यकता पूरा करने के लिए, बल्कि इसलिए भी क्योंकि यह कंपनी के सूचीबद्ध होने के बाद उसकी वृद्धि के लिए धन जुटाने की क्षमता भी बनाए रखेगा।
इसमें टाटा संस, टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज, पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज और आदित्य बिड़ला फाइनेंस को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की उच्च स्तरीय एनबीएफसी की सूची में शामिल होने के कारण एक वर्ष के भीतर सूचीबद्ध होना जरूरी है।उन्होंने कहा कि इनमें से पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस का पीरामल एंटरप्राइजेज में विलय होगा और टाटा संस सूचीबद्धता से बचने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर सकती है।
TATA Sons का इंतजार
हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि टाटा संस का आईपीओ बाजार का रुख बदलने वाला साबित हो सकता है, जिससे निवेशकों को काफी फायदा होने की उम्मीद है। भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक की मूल कंपनी के रूप में टाटा संस की प्रतिष्ठा को देखते हुए इसके सूचीबद्ध होने में घरेलू तथा वैश्विक दोनों निवेशकों की रुचि देखने को मिल सकती है।
डीएएम कैपिटल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) धर्मेश मेहता ने कहा कि अगर टाटा संस सूचीबद्ध होती है, तो यह भारत के तेजी से बढ़ते इक्विटी पूंजी बाजारों के लिए एक बड़ी बात होगी। भारत में सबसे प्रतिष्ठित समूहों की ओर से इस तरह की पेशकश को देखते हुए, निश्चित तौर पर इसको लेकर वैश्विक तथा घरेलू स्तर पर बड़ी रुचि होगी।विश्लेषकों का अनुमान है कि पांच प्रतिशत हिस्सेदारी भी बाजार में 55,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश ला सकती है, जिससे नकदी तथा शेयरों का लेनदने बढ़ सकता है।हालांकि, इन आशावादी अनुमानों के बावजूद टाटा संस ने अनिवार्य सूचीबद्धता की शर्त से बचने के उद्देश्य से कथित तौर पर आरबीआई को अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र स्वेच्छा से वापस करने के लिए आवेदन किया है।अब सबकी निगाहें टाटा संस के आवेदन पर आरबीआई के रुख पर टिकी हैं।
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