Bank vs Post Office: रिटर्न देने के मामले में बैंक एफडी को टक्कर दे रहीं डाकघर की स्कीम्स, जानिए कितना है अंतर
Bank vs Post Office Returns on Fixed Deposit: छोटी बचत योजनाओं के तहत फिक्स्ड डिपॉजिट पर ग्राहकों को ब्याज देने के मामले में डाकघर, देश के बड़े बैंकों को टक्कर दे रहा है। 2 साल की एफडी पर डाकघर अपने ग्राहकों को 6.9 प्रतिशत का ब्याज दे रहा है, जबकि एसबीआई 1 से 2 साल की अवधि वाली एफडी पर 6.8 प्रतिशत का ब्याज दे रहा है।

Bank vs Post Office Returns: रिटर्न देने के मामले में बैंक एफडी को टक्कर दे रहीं डाकघर की स्कीम्स
- रिटर्न देने के मामले में बैंकों को टक्कर दे रहा डाकघर
- 2 साल की एफडी पर 6.9% का ब्याज दे रहा डाकघर
- 1-2 साल की अवधि वाली FD पर 6.8% ब्याज दे रहा SBI
Bank FD vs Post Office FD Returns:छोटी सेविंग स्कीम्स पर ब्याज दरों में लगातार तीन बार बढ़ोतरी होने से डाकघर की फिक्स्ड डिपॉजिट एक बार फिर बैंक एफडी की टक्कर में आकर खड़ी हो गई हैं। छोटी बचत योजनाओं के तहत डाकघर में 2 साल की एफडी पर 6.9 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है जो ज्यादातर बैंकों द्वारा 2 साल की अवधि वाले डिपॉजिट्स पर दी जाने वाली ब्याज दरों के बराबर है। बताते चलें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मई, 2022 में रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया था और तब से ये 4 प्रतिशत से बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो चुका है।
RBI द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद बैंकों ने डिपॉजिट पर बढ़ाई ब्याज दरें
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आरबीआई द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी करने का असर ये हुआ कि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बैंकों ने ज्यादा फंड जुटाने के लिए रिटेल डिपॉजिट्स पर ज्यादा ब्याज देना शुरू कर दिया। नतीजन, मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच बैंकों की नई जमाओं पर भारित औसत घरेलू फिक्स्ड डिपॉजिट दर (WADTDR) 2.22 प्रतिशत तक बढ़ गई।
वहीं, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में बैंकों का जोर थोक जमाओं (Bulk Deposits) पर ज्यादा था। लेकिन दूसरी छमाही में उनकी प्राथमिकता बदली और रिटेल डिपॉजिट जुटाने पर उन्होंने ज्यादा ध्यान दिया। ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना इसी का हिस्सा रहा है।
लगातार 9 तिमाहियों में एक बार भी नहीं बदली थी दरें
सरकार ने छोटी बचत योजनाओं (एसएसआई) के लिए ब्याज दरें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए 0.1-0.3 प्रतिशत, जनवरी-मार्च तिमाही के लिए 0.2-1.1 प्रतिशत और अप्रैल-जून 2023 तिमाही के लिए 0.1-0.7 प्रतिशत तक बढ़ा दीं। इसके पहले छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें लगातार 9 तिमाहियों में एक बार भी नहीं बदली थीं। वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही से 2022-23 की दूसरी तिमाही तक इनमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी।
छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का फैसला सरकार करती है। इनका निर्धारण तुलनीय परिपक्वता वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले प्रतिफल से जुड़ा होता है। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट दरें अब डाकघर फिक्स्ड डिपॉजिट दरों की तुलना में प्रतिस्पर्धी रूप से निर्धारित हैं।’’
2 से 3 साल की अवधि वाले एफडी पर 7 प्रतिशत का ब्याज दे रहा SBI
रिजर्व बैंक के मुताबिक, एक से दो साल की अवधि वाली बैंक खुदरा जमा पर WADTDR फरवरी, 2023 में 6.9 प्रतिशत हो गया जबकि सितंबर, 2022 में यह 5.8 प्रतिशत और मार्च, 2022 में 5.2 प्रतिशत था। छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर लगातार तीन बार बढ़ने के बाद दो साल वाली डाकघर फिक्स्ड डिपॉजिट पर अब 6.9 प्रतिशत का रिटर्न मिल रहा है। जो सितंबर, 2022 में 5.5 प्रतिशत थी।
देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई 1 साल से ज्यादा और 2 साल से कम अवधि वाले डिपॉजिट पर 6.8 प्रतिशत ब्याज दे रहा है। वहीं 2 साल से ज्यादा और 3 साल से कम के डिपॉजिट पर एसबीआई की ब्याज दर 7 प्रतिशत है।
भाषा इनपुट्स के साथ
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