Online Frauds: ऑनलाइन फ्रॉड पर नए तरीके से कसी जाएगी नकेल, तुरंत फ्रीज होंगे जालसाजों के खाते, जानें क्या है बैंकों का प्लान
Online Frauds: बैंकों ने, साइबर क्राइम एक्सपर्ट्स के बातचीत करके एवरेज रेस्पॉन्स टाइम कम करने और मामलों के क्विक अपडेशन के लिए एनसीआरपी के साथ एपीआई इंटीग्रेशन की सिफारिश की है।
ऑनलाइन फ्रॉड पर कसी जाएगी नकेल
- जालसाजों पर लगेगी लगाम
- खाते तुरंत होंगे फ्रीज
- बैंकों ने बनाया नया प्लान
Online Frauds: साइबर अटैक के मामले में धोखेबाजों के खातों पर तेजी से रोक लगाने का रास्ता साफ करने के लिए, बैंकों ने गृह मंत्रालय की एक यूनिट, नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के साथ अपने सिस्टम के इंटीग्रेशन का प्रस्ताव दिया है। इसका मकसद डिजिटल क्राइम और फिशिंग हमलों के अपराधियों को किसी पीड़ित के बैंक खाते से पैसे निकालने या खर्च करने से पहले कई बैंकों के खातों में तेजी से ट्रांसफर करने से रोकना है। ये एक ऐसी चाल है, जिसे साइबर शिस्टर्स और वॉयस फिशर इस्तेमाल करते हैं। बैंकों और पुलिस के लिए इस तरीके से पैसा बनाना कठिन होता है।
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ऑटोमैटिकली फ्रीज कर दिया जाएगा खाता
बैंकों ने, साइबर क्राइम एक्सपर्ट्स के बातचीत करके एवरेज रेस्पॉन्स टाइम कम करने और मामलों के क्विक अपडेशन के लिए एनसीआरपी के साथ एपीआई इंटीग्रेशन की सिफारिश की है। इसलिए आइडिया यह है कि जिस अकाउंट में पैसा आया है, उसे चिह्नित किया जाए और बिना किसी मैनुअल हस्तक्षेप के बैंक खाते को ऑटोमैटिकली फ्रीज कर दिया जाए। एक इंडस्ट्री सब-ग्रुप ने I4C को यह सुझाव दिया है।
क्या है I4C
I4C या इंडियन साइबरक्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर गृह मंत्रालय की एक पहल है, जो साइबर क्राइम से जुड़े मामलों से निपटने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) और बैंकों जैसे संस्थानों के बीच समन्वय में सुधार करने पर केंद्रित है।
कैसे होती है धोखाधड़ी
आम तौर पर, जिस खाते में धोखाधड़ी होती है, उससे निकाला गया पैसा कई बैंकों के खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता है। यदि पूरी इंडस्ट्री के पास तुरंत जानकारी उपलब्ध हो तो पैसा वापस पाने की बेहतर संभावना है।
इससे बैंक ए द्वारा एलईए से निर्देश का इंतजार, फिर बैंक बी, सी और डी को ईमेल भेजना, या उन्हें कॉल करना, उन खातों से पैसे ट्रांसफर का अनुरोध करना, जहां पैसा गया है, ये सारा समय बचाया जा सकता है।
ग्रुप ने यह भी सिफारिश की है कि ग्रहणाधिकार और फ्रीज के तहत पहचाने गए खातों का डेटा बैंकों को दैनिक आधार पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि बैंक अपने रिकॉर्ड का मिलान कर सकें।
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