Bank Credit: बैंक लोन पर चला सकते हैं कैंची, भारतीयों का ये शौक पड़ सकता है भारी
Bank Credit: रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने कहा है कि बैंक अपनी लोन वृद्धि को धीमा करने के लिए मजबूर हो सकते हैं। क्योंकि जमा राशि समान गति से नहीं बढ़ रही है। पिछले दो साल में भारतीय परिवारों की बचत करीब 4 फीसदी गिर गई है।
बैंक कर्ज देने में कर सकते हैं सख्ती
Bank Credit:बैंक कर्ज देने की रफ्तार सुस्त कर सकते हैं। ऐसा अंदेशा रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने जताया है। उसका कहना है कि बैंकों में लगातार जमाएं कम हो रही है। ऐसे में बैंक कर्ज की रफ्तार पर ब्रेक लगा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो होम लोन, कार लोन, पर्सलन लोन से लेकर बिजनेस लोन तक पर असर पड़ सकता है। एजेंसी के अनुसार सभी प्रमुख बैंकों में लोन-से-जमा अनुपात में गिरावट आई है, लोन वृद्धि जमा वृद्धि की तुलना में दो-तीन प्रतिशत अधिक है। इसमें भी प्राइवेट बैंकों में कर्ज की रफ्तार पब्लिक सेक्टर बैंकों की तुलना में कहीं ज्यादा रही है।
एजेंसी ने क्यों चेताया
रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने कहा है कि बैंक अपनी लोन वृद्धि को धीमा करने के लिए मजबूर हो सकते हैं। क्योंकि जमा राशि समान गति से नहीं बढ़ रही है।एशिया-प्रशांत में बीते वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के बैंकिंग अपडेट में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की निदेशक एसएसईए निकिता आनंद ने कहा कि एजेंसी को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में यदि जमा वृद्धि, विशेष रूप से रिटेल जमा, धीमी रहती है, तो क्षेत्र की मजबूत लोन वृद्धि 16 प्रतिशत से घटकर 14 प्रतिशत हो जाएगी।
आनंद ने कहा कि प्रत्येक बैंक में ऋण-से-जमा अनुपात में गिरावट आई है, ऋण वृद्धि जमा वृद्धि की तुलना में दो-तीन प्रतिशत अधिक है। हमें उम्मीद है कि बैंक चालू वित्त वर्ष में अपनी लोन वृद्धि में कमी लाएंगे और इसे जमा वृद्धि के अनुरूप लाएंगे। यदि बैंक ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें बल्क पूंजी प्राप्त करने के लिए अधिक भुगतान करना होगा, जिससे प्रॉफिट प्रभावित होगी।आम तौर पर, ऋण वृद्धि सबसे ज्यादा निजी क्षेत्र के बैंकों में हुई है। इनमें लगभग 17-18 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में 12-14 प्रतिशत की सीमा में ऋण वृद्धि देखी गई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय बैंकों की लोन वृद्धि, प्रॉफिट और एसेट क्वॉलिटी मजबूत रहेगी, जो मजबूत आर्थिक वृद्धि को दर्शाता है।
4 फीसदी तक कम हुई सेविंग
पिछले दो साल में भारतीय परिवारों की बचत करीब 4 फीसदी गिर गई है। वित्त वर्ष 2022-23 में यह जीडीपी का केवल 5.1 फीसदी रहा है. जबकि 2020-21 में यही 11.5 फीसदी था। बचत कम होने की एक बड़ी वजह भारतीयों का रियल एस्टेट और गाड़ियां खरीदने पर ज्यादा पैसा खर्च करना भी रहा है। इसके चलते उन पर कर्ज बढ़ा है।
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