Banks Write Off: 5 साल में बैंकों ने 9.90 लाख करोड़ के लोन बट्टे खाते में डाले, जानें कितनी हुई वसूली

Banks Write Off: वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान ‘राइट-ऑफ’ सबसे अधिक 2.34 लाख करोड़ रुपये था, जो अगले वर्ष घटकर 2.02 लाख करोड़ रुपये और वित्तवर्ष 2021-22 में 1.74 लाख करोड़ रुपये रह गया।

Bank Laws

बैंक राइट ऑफ

Banks Write Off:बैंकों ने पिछले पांच वित्तवर्षों में 9.90 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टेखाते में (Write off) डाले हैं। मंगलवार को संसद को यह जानकारी दी गयी। सबसे अधिक राइट ऑफ वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान ‘राइट-ऑफ’ सबसे अधिक 2.34 लाख करोड़ रुपये था, और इन पांच वर्षों में सबसे कम वित्तवर्ष 2021-22 में 1.74 लाख करोड़ रुपये रह गया। कि रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों और बैंकों के बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीति के अनुसार गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) को संबंधित बैंक की ‘बैलेंस-शीट’ से ‘राइट-ऑफ’ के माध्यम से हटा दिया जाता है।

बैंक क्यों करते हैं राइट ऑफ

जब बैंक अपने कर्ज को वसूल नहीं पाते हैं तो उसके बाद वह उस अकाउंट को बट्टे खाते यानी राइट ऑफ कर देते हैं। और इसके तहत वह कर्ज नहीं चुकाने वाले से डील करके कम पैसे की वसूली करते हैं। यानी कर्जदाता जितना पैसा देने में समर्थ होता है, उसके आधार पर यह समझौता होता है। बाकी पैसा कोर्ट-कचहरी में फंस जाता है। जिसे रिकवर करने में काफी टाइम लगता है।वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वित्तवर्ष 2023-24 के दौरान, बैंकों द्वारा 1.70 लाख करोड़ रुपये का ऋण बट्टेखाते में डाला गया, जबकि उसके पिछले वित्तवर्ष में यह राशि 2.08 लाख करोड़ रुपये थी। वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान ‘राइट-ऑफ’ सबसे अधिक 2.34 लाख करोड़ रुपये था, जो अगले वर्ष घटकर 2.02 लाख करोड़ रुपये और वित्तवर्ष 2021-22 में 1.74 लाख करोड़ रुपये रह गया।

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों और बैंकों के बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीति के अनुसार गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) को संबंधित बैंक की ‘बैलेंस-शीट’ से ‘राइट-ऑफ’ के माध्यम से हटा दिया जाता है।

कांग्रेस क्या बोली

कांग्रेस सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि बैंक अपने बैलेंस-शीट को साफ करने, कर लाभ प्राप्त करने और पूंजी को अनुकूलित करने के लिए अपने नियमित अभ्यास के हिस्से के रूप में राइट-ऑफ के प्रभाव का मूल्यांकन/विचार करते हैं।उन्होंने कहा कि रकम के बट्टेखाते में डालने से उधारकर्ताओं को देनदारियों की छूट नहीं मिलती है और इसलिए बट्टेखाते में डालने से उधारकर्ताओं को कोई लाभ नहीं होता है।

इस सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए कहा है कि 9.90 लाख करोड़ के राइट ऑफ में बैंक केवल 1.8 लाख करोड़ रुपये वसूल पाए। यानी 100 रुपये में से केवल 18 रुपये। जबकि 82 रुपये डूब गए।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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