Basmati Rice: बासमती पर निर्यात मूल्य घटाने की मांग , पाकिस्तान से मिल रही टक्कर
Basmati Rice: कारोबारी मौजूदा एमईपी पर निर्यात नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान 750 डॉलर प्रति टन एमईपी पर उत्पाद निर्यात कर रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय बासमती बाजार पर भी असर पड़ा है और अनिश्चितता पैदा हुई है।उन्होंने कहा कि बासमती पर एमईपी की समीक्षा से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा
बासमती चावल
Basmati Rice: भारत के बासमती चावल को पाकिस्तान से टक्कर मिल रही है। उसके कम रेट के कारण निर्यातक विदेशी बाजार में टक्कर नहीं दे पार रेह हैं। इसके देखते हुए शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने केंद्र सरकार से बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 950 डॉलर से घटाकर 750 डॉलर प्रति टन करने का आग्रह किया ताकि किसानों के लिए बेहतर कीमत सुनिश्चित हो सके और साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस किस्म की प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़े। उनके अनुसार इस वर्ष बंपर फसल की उम्मीद है, लेकिन यदि सरकार ने इस चावल की किस्म के लिए एमईपी की समीक्षा नहीं की तो बासमती किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। निर्यातक इस वर्ष किसानों से बासमती खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि पिछले दो वर्षों से प्रतिबंधात्मक निर्यात नीतियों के कारण उनके गोदाम भरे हुए हैं।
इस बार बंपर फसल की उम्मीद
इस बीच पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि चालू खरीफ सत्र के दौरान बासमती की खेती का रकबा 12.58 प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिली है।मंत्री ने कहा कि लंबे दाने वाले चावल की खेती बढ़कर 6.71 लाख हेक्टेयर तक हो गई है, जो पिछले खरीफ सत्र में 5.96 लाख हेक्टेयर थी।
अमृतसर इस सुगंधित चावल के लिए 1.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के साथ अग्रणी है।अमृतसर के बाद मुक्तसर में 1.10 लाख हेक्टेयर, फाजिल्का में 84.9 हजार हेक्टेयर, तरनतारन में 72.5 हजार हेक्टेयर और संगरूर में 49.8 हजार हेक्टेयर में बासमती की खेती की गई।मंत्री ने कहा कि राज्य ने बासमती की निर्यात गुणवत्ता को विश्व स्तरीय मानक तक बढ़ाने के लिए इस सुगंधित फसल में 10 कीटनाशकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
निर्यातकों को गोदाम भरे
वहीं शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हालांकि इस वर्ष बंपर फसल की उम्मीद है, लेकिन यदि सरकार ने इस चावल की किस्म के लिए एमईपी की समीक्षा नहीं की तो बासमती किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की मंशा को पूरा करने के लिए भी यह आवश्यक है।बादल ने कहा कि निर्यातक इस वर्ष किसानों से बासमती खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि पिछले दो वर्षों से प्रतिबंधात्मक निर्यात नीतियों के कारण उनके गोदाम भरे हुए हैं।
उन्होंने कहा, “उद्योगपति मौजूदा एमईपी पर निर्यात नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान 750 डॉलर प्रति टन एमईपी पर उत्पाद निर्यात कर रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय बासमती बाजार पर भी असर पड़ा है और अनिश्चितता पैदा हुई है।उन्होंने कहा कि बासमती पर एमईपी की समीक्षा से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और देश में कीमतों में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे पंजाब और हरियाणा सहित उत्तरी क्षेत्र के किसानों को मदद मिलेगी।बादल ने साथ ही गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और उबले चावल के निर्यात पर लगाए गए 20 प्रतिशत शुल्क को वापस लेने की मांग की।
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