PM Modi ने डेट संकट को बताया दुनिया के लिए बड़ी चिंता, कमजोर देशों पर है करीब 27 लाख करोड़ रु का कर्ज
PM Modi On Debt Crisis: पीएम मोदी ने कहा कि डेट संकट वास्तव में दुनिया, खासकर विकासशील देशों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। विभिन्न देशों के नागरिक इस मामले में सरकारों द्वारा लिए जा रहे फैसलों का अनुसरण कर रहे हैं। कुछ सराहनीय परिणाम भी आए हैं।
कर्ज संकट पर पीएम मोदी का बड़ा बयान
- पीएम मोदी का G20 से पहले बड़ा बयान
- कर्ज संकट को बताया बड़ी चिंता
- विकासशील देशों के लिए और भी अधिक दिक्कत
PM Modi On Debt Crisis: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने कहा है कि ऋण संकट (Debt Crisis) दुनिया, खासकर विकासशील देशों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत आगामी जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) में इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेगा, ताकि इस संबंध में कर्ज से बोझ से दबी कम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं की मदद के लिए एक ठोस रूपरेखा तैयार की जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक भारत की अध्यक्षता में जी20 ने डेब्ट संबंधी कमजोरियां से पैदा होने वाली वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर काफी जोर दिया है।
दुनिया के सामने बड़ी चिंता
पीएम मोदी ने कहा कि डेट संकट वास्तव में दुनिया, खासकर विकासशील देशों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। विभिन्न देशों के नागरिक इस मामले में सरकारों द्वारा लिए जा रहे फैसलों का अनुसरण कर रहे हैं। कुछ सराहनीय परिणाम भी आए हैं।उन्होंने कहा कि सबसे पहली बात यह है कि जो देश ऋण संकट से गुजर रहे हैं या इससे गुजर चुके हैं, उन्होंने वित्तीय अनुशासन को अधिक महत्व देना शुरू कर दिया है। दूसरा, जिन्होंने कुछ देशों को ऋण संकट के कारण कठिन समय का सामना करते देखा है, वे उन्हीं गलत कदमों से बचने के लिए सचेत हैं।
27 लाख करोड़ रु का कर्ज
एक अनुमान के मुताबिक, 70 से अधिक कम आय वाले देशों पर कुल 326 अरब डॉलर (करीब 27 लाख करोड़ रु) का कर्ज है। पीएम मोदी ने कहा कि जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने डेब्ट सॉल्यूशन में अच्छी प्रगति को स्वीकार किया है। हम कठिन समय के दौरान अपने पड़ोसी श्रीलंका की जरूरतों के प्रति भी काफी संवेदनशील रहे हैं।
भारत की भूमिका
भारत ने अपनी जी20 अध्यक्षता के तहत बढ़ती डेट समस्याओं का सामना करने वाले देशों की मदद के लिए ऋण पुनर्गठन (Debt Restructuring) पर लगातार जोर दिया है।चीन, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी ऋणदाता या लेंडर माना जाता है, वह ऋण पुनर्गठन के कुछ प्रस्तावों पर सहमत नहीं है। हालांकि, बड़ी संख्या में जी20 सदस्य देश कम आय वाले देशों को संकट से मुकाबला करने में मदद की वकालत कर रहे हैं।
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