प्रभु श्री राम से सीखिए कामयाब लीडर बनने के गुण,कभी नहीं होंगे फेल
Happy Ram Navami: मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन में ऐसे कई प्रसंग आए हैं, जहां उनके नेतृत्व क्षमता का परिचय मिला है। उन्होंने जिस तरह धैर्य और बुद्धिमत्ता से संकटों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल किया, वह आज भी प्रासंगिक हैं।
भगवान राम से सीखे सफलता के मंत्र
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बेहतर साझेदारी अहम
भगवान राम के जीवन में जब माता सीता को रावण के चंगुल छुड़ाने के लिए वानर राज बाली और उसके भाई सुग्रीव में से किसी एक के चयन का अवसर आया। उस वक्त उन्होंने निर्वासित सुग्रीव को चुना। इसका फायदा यह हुआ है कि उन्हे सुग्रीव जैसा उनकी बातों को अमल में लाने वाला पार्टनर मिला। और उनकी वजह से राम, लंका विजय को आसान कर सके।
लोगों को मौका देना और कौशल का बेहतर इस्तेमाल
राम ने माता सीता का पता लगाने के लिए हनुमान जी की क्षमता को पहचाना और उनके नेतृत्व में दल भेजा। इसके बाद राम ने हनुमान को फैसले लेने के भी छूट दी। इसका फायदा यह हुआ कि हनुमान जी ने वह करके दिखाया, जो किसी के लिए करना असंभव था।
संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल
भगवान राम ने समु्द्र पर सेतु निर्माण के लिए नल और नील का चयन किया था। इससे साफ पता चलता है कि हनुमान उनके सबसे प्रतिभावान और करीबी नायक थे लेकिन इसके बावजूद सेतु निर्माण में नल और नील के टैलेंट का उन्हें पता था। और उन्होंने उनका इस्तेमाल कर लंका विजय की बड़ी बाधा पार कर ली थी।
बिग प्लान को छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर हासिल करें
भगवान राम की पत्नी सीता का जब अपहरण हुआ तो उन्होंने रावण विजय के लिए आवेश में कोई रणनीति नहीं तैयार की थी। उन्होंने धैर्य के साथ छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर लंका विजय की। यानी जब कोई बड़ा लक्ष्य हासिल करना है तो उसके लिए छोटे-छोटे लक्ष्य तय समय में हासिल करना बेहद जरुरी है।
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