मुख्य बातें
- एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी बजट पेश
- बजट सरकार के खर्च और आमदनी का पूरा लेखा-जोखा होता है।
- बजट भाषण में कई जटिल शब्दों का इस्तेमाल होता है।
Budget 2023 ABCD Explained: एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी 2.0 का आखिरी पूर्णकालिक बजट पेश करने जा रही है। बजट किसी भी वित्तीय वर्ष (31 मार्च से लेकर 01 अप्रैल) के आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है। इसमें सरकार किस मद में कितना पैसा खर्च करने वाली है और क्या उसके आय के स्त्रोत होंगे। इसके अलावा आयकर समेत विभन्न टैक्स में कितनी छूट मिलने जा रही है। बजट बनने की प्रकिया कई महीने पहले से शुरू हो जाती है। हालांकि, वित्त मंत्री के बजट भाषण में कई जटिल शब्द होते हैं। बजट 2023 से पहले आसान भाषा में जानिए बजट की शब्दावली।
संविधान में बजट का जिक्र नहीं किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) का जिक्र किया गया है। देश चलाने के लिए सरकार को जिस खर्च की जरूरत होती है उसे राजस्व व्यय या फिर रेवन्यू एक्पसपेंडिचर कहा जाता है। ये खर्च कर्मचारियों की सैलरी देने, मंत्रालयों और विभागों की बिजली और पानी का बिल देने आदि के मद पर खर्च किया जाता है। इसके अलावा राजस्व व्यय का इस्तेमाल सब्सिडी देने, राज्य सरकारों को ग्रांट देने में होता है। इन व्यय में संपत्ति का निर्माण नहीं होता है।
पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure)
पूंजीगत व्यय यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर बजट का सबसे अहम हिस्सा होता है। ये एक ऐसा खर्च होता है, जिससे भविष्य में सरकार की कमाई हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहे तो वह खर्च जो कोई नई संपत्ति बनाता है। पूंजीगत व्यय का इस्तेमाल मशीन खरीदने, सड़क बनाने, हाइवे, बांध आदि जैसे फिक्स्ड एसेट्स पर खर्च किया जाता है। पूंजीगत व्यय देश के विकास के लिए जरूरी आधारभूत ढांचे का निर्माण करता है। इससे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ती है, जिससे आर्थिक गतिविधियां और रोजगार बढ़ते हैं।
राजस्व प्राप्ति और पूंजीगत प्राप्ति (Revenue Reciept, Capital Reciept)
सरकार द्वारा वसूले गए सभी तरह के टैक्स, फीस, निवेश से मिलने वाले ब्याज, लाभांश और कई सेवाओं के बदले मिलने वाली रकम को राजस्व प्राप्ति यानी रेवेन्यू रिसिप्ट कहते हैं। राजस्व प्राप्ति सरकार की चालू आय होती है। इससे न तो देनदारी होती है और न ही सरकार की संपत्ति में किसी तरह की कोई कमी आती है। वहीं, पूंजीगत प्राप्ति यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर सरकार की वह आय होती है जो रिजर्व बैंक या दूसरी वित्तीय संस्थाओं से लिए गए कर्ज, बाजार से लिए गए ऋण या फिर सरकारी कंपनियों के विनिवेश से प्राप्त होती है।
राजस्व घाटा, बजट घाटा और राजकोषीय घाटा (Revenue Deficit, Budget Deficit, Fiscal Deficit)
सरकार का कुल खर्च यदि कुल कमाई से अधिक है तो उसे राजस्व घाटा कहते हैं। राजस्व घाटा ये बताता है कि सरकार के पास रोजाना के काम करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है। इसे पाटने के लिए कई बार सरकार को बाहर से उधार लेना पड़ता है। वहीं, बजट घाटा सरकार के कुल व्यय (राजस्व, पूंजीगत) और राजस्व प्राप्तियों, पूंजीगत और गैर पूंजीगत प्राप्तियों के बीच का अंतर होता है। बजट घाटा देश की अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिति को दर्शाता है।
राजकोषीय घाटा सरकार के राजकोष यानी खजाने का घाटा होता है। इसकी गणना जीडीपी के आधार पर होती है। ये देश की आर्थिक सेहत को बताना का सबसे अहम पैमाना है। राजोकोषीय घाटा से ही तय होता है कि सरकार कितना उधार ले सकती है। साथ ही उसे अपने खर्चों में कितनी कटौती करनी होगी। साल 2004 से देश में राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (FRBM) एक्ट लागू हुआ था। इससे देश के राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की कोशिश की गई थी।