Budget 2023 Exceptions: केंद्र सरकार के इस 'बजट' से हर तबके को बड़ी 'उम्मीदें', क्या सोचते हैं लोग
AAM Budget 2023 Exceptions: किसान को फसल का बढा हुआ दाम, युवाओं को रोजगार और स्टार्ट अप में रियायतें तो व्यापारी को छोटे उद्यम में बजट से राहत की उम्मीदें, रसोई की जिम्मेदारी सम्हालने वाली महिलाओं ने भी महंगाई कम करने की लगाई गुहार।
आम बजट से उम्मीदें
केंद्र सरकार के बजट इस बजट से हर तबके को बड़ी उम्मीदें है, आर्थिक चुनौतियों के दवाब के बीच सरकार को सबका ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना है। मुश्किलें है और चुनाव की चिंता भी और इन दोनो में सामंजस्य भी बिठाना है। अब केंद्र सरकार इस काम को कितनी होशियारी से करती है ये देखना होगा। सरल भाषा में समझे तो बजट का मलतब कितना धन जेब में आएगा और उसे कहा कहा कितना खर्च किया जायेगा इसका हिसाब किताब ही बजट है इस बजट से हर घर हर तबका दो चार होता है।
केंद्र सरकार अपने दूसरे कार्यकाल चौथा बजट पेश करने जा रही है। कोरोना जैसी महामारी से उपजी चुनौतियां और मुश्किलों के बीच सरकार के सामने चुनौतियां बहुत है। अगले साल लोकसभा चुनाव है और चुनावी परंपरा में सख्त बजट लाने से बचने की परिपाटी रही है सरकारें कड़े फैसले लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती ऐसे में यूपी की इच्छा क्या है आम जन से इलाके युवा किसान और व्यापारी क्या सोचता है ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है।क्योंकि बेहतर प्रबंधन के पीछे सोच उसी वर्ग को राहत पहुंचाने की होती है।
सरकार इस बजट में आत्म निर्भर युवाओं को केंद्र में रखे ताकि युवाओं की ऊर्जा का हो सके देश के विकास में इस्तेमाल। युवा वर्ग चाहता है बजट से मिले युवाओं को पंख ताकि उड़ान ऊंची हो, नोएडा में रहने वाले दुर्वेश यादव और उनके साथी किशन शर्मा, तनुज शर्मा और आकाश सक्सेना पढ़ाई के बाद स्वरोजगार की राह तलाश रहे है । दुर्वेश आर्थिक मसलों में गहरी रुचि रखते है, दुर्वेश और युक्रेन युद्ध , कच्चे तेल का संकट, रुपये में गिरावट और अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में मुद्रास्फीति के कारण मंदी का खतरा है। ऐसे में हमें खास ध्यान देने की जरूरत है।
इस साल मुद्रास्फीति ज्यादा रहने की संभावना
जो निम्न और मध्यम आय वाले ग्रुप को प्रभावित कर सकती है इन सभी का कहना है कि सरकार से उम्मीद है कि इस वर्ग पर पड़ने वाले बोझ को हल्का करने के लिए बजट में सरकार व्यवस्थाएं करे। और बतौर यूथ मेरी मांग है कि भारत सरकार लोगों को अपना स्टार्टअप खोलने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाएं चला रही है लेकिन सरकार से अगर ऋण दर में कटौती की जाती है तो स्टार्टअप मालिकों पर कम बोझ पड़ेगा और हम जैसे युवाओं को जो स्टार्ट अप शुरू करना चाहते है उन्हे राहत मिलेगी।
लघु और छोटे उद्योगों को ब्याज में छूट देने से मिलेगी देश को रफ्तार
व्यापार की राह आसान करने के लिए सरकार पूरी कोशिश करती है और यूपी में तो ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के जरिए बड़े बड़े निवेशकों को उद्यम लगाने के लिए इनवाइट किया जा रहा है । अर्थ विशेषज्ञ और उद्यमी वशिष्ठ काला ने केंद्र सरकार से इस बजट में पाँच डिमांड की है । पहली माँग उन्होंने श्रमिक वर्ग और वेतन वर्ग को राहत देने से जुड़ी है है वसिष्ठ काला कहते है इन वर्गों के लिए वेतन में 15000 तक की टैक्स छूट मिलती है वो बढ़ाकर 1 लाख होनी चाहिए।
दूसरा सरकार लघु और सूक्ष्म उद्योग को लोन में राहत दे और ब्याज सब्सिडी 2% तक कर देनी चाहिए जिससे वो अपने उद्योग को आगे बढ़ाए और देश का विकास में योगदान दे सकें। तीसरी महत्वपूर्ण बात कि बचत संस्कृति को बढ़ाने के लिए 80सी सेक्शन में जो डेढ़ लाख रुपए की राशि की व्यवस्था है उसे बढ़ाकर दो से ढाई लाख किया जाना चाहिए । जिससे लोगों को बड़ी हद तक राहत मिल सकेगी। वशिष्ठ काला ने यूपी सरकार की तरह केंद्र सरकार को अपना ध्यान निवेश, तार्किक और आधारभूत संरचनाओ पर केंद्रित करने की सलाह दी है।
बिजनेस कोच सुरेश मंशरमणि भी वशिष्ठ काला की राय को आगे बढ़ाते हुए msme को लोन पर 2% सब्सिडी की जरूरत बताते है। उनका तर्क है कि ऐसी योजनाएं भारत को एमएसएमई की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकती हैं और नौकरी चाहने वालों की तुलना में अधिक नौकरी देने वाले होने का सपना सच हो जाएगा। इसके अलावा, स्टार्टअप इंडिया को स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देने के लिए अपने फंड में वृद्धि करनी चाहिए और सरकार को एमएसएमई और छोटे स्टार्टअप के लिए मेंटरिंग और कोहोर्ट सेशन भी शुरू करने चाहिए।
किसानों की आय बढ़ाने पर देना होगा जोर
बाराबाकी में चौपाल सजाकर बैठे किसान कई मुद्दों को लेकर इस सरकार से बहुत खुश है लेकिन अपनी आय दोगुनी करने को लेकर थोड़ी निराशा उनकी बातो में महसूस हो जाती है कमल खेड़ा के प्रधान रामविराज कहते है कि किसान सम्मान निधि गन्ना का बकाया भुगतान इसका तो इंतजाम हो गया अब सरकार को फसल की कीमत बाजार में ना गिरे ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। इसी गांव के अवधेश कह रहे हैं कि सरकार को हर फसल को एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था कर देनी चाहिए। इसके साथ ही डीएपी और यूरिया की किल्लत का भी समाधान हो जिससे हमे परेशानी का सामना न करना पड़े । खेती के उपकरण पर ज्यादा से ज्यादा सब्सिडी दी जाय इसकी बहुत जरूरत है ।किसानों की डिमांड बहुत ज्यादा नहीं है और सरकार भी किसानों को लेकर फिक्रमंद रहती है ।
रसोई के खर्चे को कम करे सरकार, जिससे मिडल क्लास पर न पड़े जोर
घर का मुखिया भले पुरुष हो लेकिन घर की पूरी जिम्मेदारी महिलाए ही सम्हलती है । जो इन दिनों महंगाई से जूझ रही है। लखनऊ शहर के गोमती नगर इलाके में रहने वाली सुनीता शर्मा बजट से उम्मीद पूछने पर समस्याओं का ताना बाना सुनाने लगती है । कहती है रसोई का खर्चा बढ़ गया है । बच्चो की फीस भरने में जान निकल जाती हैं। लखनऊ की रहने सुधा का कहना है आमदनी बड़ी है लेकिन उसके साथ खर्चों की समस्याएं भी आ खड़ी है । ऐसे में मैनेज करना बहुत मुश्किल हो जाता है। अलीगढ़ की निशा बताती है कि पेट्रोल डीजल ने जो कीमतें उछाल दी है उससे बजट गड़बड़ा जाता है। किफायत से तो रहते है लेकिन सरकार को हमारी समस्याएं देखनी चाहिए और महंगाई पर लगाम लगानी चाहिए।
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