बजट 2023 में राजकोषीय घाटे का क्या लक्ष्य रखेगी सरकार? जानिए क्या है ये
Budget 2023: देश अब कोरोना वायरस महामारी से लगभग उबर चुका है। उद्योग जगत की निगाहें अगले महीने की पहली तारीख को पेश होने वाले बजट पर टिकी हैं।
बजट 2023 में राजकोषीय घाटे का क्या लक्ष्य रखेगी सरकार?
नई दिल्ली। 1 फरवरी 2023 को आगामी वित्त वर्ष के लिए देश का बजट पेश होगा। इस बार का बजट आम और खास के लिए अहम है। बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य भी रखा जाता है। राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) उस रकम को कहा जाता है जो सरकार की कुल कमाई और खर्च के बीच का अंतर होता है। इस अंतर को पूरा करने के लिए सरकार कर्ज लेती है। अगर यह बढ़ता है को अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की बात होती है।संबंधित खबरें
क्या फैसला लेगी सरकार?
विश्लेषकों ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आगामी बजट (Budget 2023) में राजकोषीय मजबूती की दिशा में बढ़ना जारी रखेंगी और राजकोषीय घाटे को जीडीपी (GDP) के 5.8 प्रतिशत पर रखने की कोशिश करेंगी। विश्लेषकों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में राजकोषीय घाटे को 5.8 प्रतिशत से लेकर छह प्रतिशत के दायरे में रखा जा सकता है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा है।संबंधित खबरें
बड़ी घोषणाएं संभव
हालांकि विश्लेषकों ने कहा है कि अगले साल आम चुनाव होने से सरकार के लिए इस बार का बजट ही अंतिम पूर्ण बजट होगा लिहाजा इसमें कुछ नई घोषणाएं हो सकती हैं। कोविड महामारी के दो वर्षों में राजकोषीय घाटा बढ़कर 9.3 प्रतिशत तक पहुंच गया था। एचएसबीसी इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने एक टिप्पणी में कहा, "अगले कुछ वर्षों में राजकोषीय मजबूती की राह पर चलने के लिए सरकार को पुरजोर कोशिश करनी होगी। यह लंबी दूरी की साइकिल रेस जैसा है जिसमें किसी प्रतिभागी के अचानक रुकने पर उसके गिर जाने की आशंका होती है।"संबंधित खबरें
उन्होंने कहा कि भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता के लिए राजकोषीय घाटे का कम होना अहम है और अनिश्चित वैश्विक परिवेश में यह और भी जरूरी है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एक फरवरी को पेश किए जाने वाले आम बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य छह प्रतिशत रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, "यह बजट सरकार के लिए राजकोषीय मजबूती की राह पर बने रहने के लिए एक चुनौती होगा।"संबंधित खबरें
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को कहीं तेज गति से वृद्धि करनी होगी। उन्होंने सरकारी व्यय में 8.2 प्रतिशत वृद्धि के साथ राजस्व वृद्धि भी 12.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9 प्रतिशत रखे जाने का अनुमान जताते हुए कहा कि अगले वित्त वर्ष में सकल उधारी भी बढ़कर 15.5 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।संबंधित खबरें
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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