Budget 2023: टैक्स स्लैब में 5 साल से नहीं मिली राहत, क्या इस बार वित्त मंत्री देंगी ये बड़ी सौगात?

Budget 2023 Tax Slabs: टैक्स भुगतान की प्रक्रिया को दो रिजीम में बांटा गया है, एक पुराना टैक्स सिस्टम है और एक नया सरलीकृत टैक्स सिस्टम है। यहां पर टेबल की मदद से पुराने और नए टैक्स सिस्टम के अंतर को समझा जा सकता है और जान सकते हैं कौन सा सिस्टम आपके लिए ज्यादा उपयुक्त है।

इनकम टैक्स स्लैब

बढ़ती महंगाई के दौर और मंदी के बीच मोदी सरकार का 2024 के आम चुनाव से पहले अंतिम पूर्ण बजट जारी होने वाला है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद बजट सत्र की शुरुआत के साथ वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट को पेश करेंगी। बीते कई सालों से सैलरी पर गुजारा करने वाले मध्यम वर्ग को टैक्स स्लैब में राहत नहीं मिली है और इस साल चुनाव से पहले ऐसी संभावना जताई जा रही है कि सरकार टैक्स स्लैब में लोगों के लिए कुछ छूट दे सकती है।

बीते साल टैक्स भुगतान की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए वित्त मंत्रालय ने बजट 2020 के दौरान अपनी नई आयकर व्यवस्था पेश की थी। साल 2020 का सिस्टम, जिसे 'सरलीकृत कर व्यवस्था' के रूप में जाना जाता है, उसमें आयकर गणना के दौरान कुछ कटौतियों और छूटों को छोड़ने के विकल्प के साथ कम टैक्स रेट की पेशकश की थी। यहां दोनों पुराने और नए टैक्स सिस्टम की स्लैब पर नजर डाल सकते हैं और जान सकते हैं कि कौन सी व्यवस्था आपके लिए ज्यादा उपयुक्त हो सकती है।

1. पुराना टैक्स सिस्टम:

अगर पुरानी कर व्यवस्था को देखा जाए तो नई कर व्यवस्था की तुलना में टैक्स रेट ज्यादा है। लेकिन पुरानी व्यवस्था कई तरह की कटौती या टैक्स छूट देती है जैसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) टैक्स छूट, सेक्शन 80C, 80 D कटौती आदि।

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