Budget 2024: प्रोफेशनल्स को हर साल टैक्स रिजीम बदलने की मिले अनुमति, बजट से इस बदलाव की क्यों है उम्मीद
Budget 2024: जैसा की जानते हैं कि मौजूदा समय में देश में दो इनकम टैक्स रीजिम ओल्ड और न्यू हैं। दोनों की लिमिट और छूट अलग-अलग हैं। टैक्स स्लैब में बदलाव से लेकर टैक्स डिडक्शन लिमिट में इजाफे तक ऐसी कई मांग हैं, जिनकी पूरी होने की आस टैक्सपेयर्स ने लगा रखी है।
बजट से बड़ी उम्मीदें (तस्वीर-Canva)
Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को संसद के पटल पर आम बजट पेश करेंगी। इस बजट से देश के टैक्सपेयर्स को काफी उम्मीदें हैं। टैक्स स्लैब में बदलाव से लेकर टैक्स डिडक्शन लिमिट में इजाफे तक ऐसी कई मांग हैं, जिनकी पूरी होने की आस टैक्सपेयर्स ने लगा रखी है। इस बीच टैक्स के मामले की जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को प्रोफेशनल्स को हर साल टैक्स रिजीम बदलने का ऑप्शन दिया जाना चाहिए। ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसे समझ लेते हैं। इस बार सभी की नजर इसपर है कि क्या इनकम टैक्स में बदलाव होगा या नहीं।
फ्लेक्सिबिलिटी की उम्मीद
जैसा कि जानते हैं कि मौजूदा समय में देश में दो इनकम टैक्स रिजीम ओल्ड और न्यू हैं। दोनों की लिमिट और छूट अलग-अलग हैं। अब जानकारों का मानना है कि इंडिविजुएल और हिंदू अविभाजित परिवार ( HUF) टैक्सपेयर्स के पास साल-दर-साल आधार पर पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था के बीच चयन करने का विकल्प होता है।
हालांकि, बिजनेस या प्रोफेशन से कमाई करने वाला व्यक्ति, जिसने धारा 115 बीएसी के तहत नई टैक्स व्यवस्था से बाहर निकलने का विकल्प चुना है, वह केवल एक बार नई टैक्स व्यवस्था में लौटने का विकल्प चुन सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्स रिजीम यह प्रतिबंध प्रोफेशनल्स के लिए एक बाधा है। उम्मीद है कि केंद्रीय बजट 2024 में पेशेवरों के लिए फ्लेक्सिबिलिटी दी जाए।
टैक्स दर
एक्सपर्ट्स के अनुसार, फॉर्मेशन में आसानी, कम ऑपरेशनल लागत और कम अनुपालन बोझ आदि के कारण पेशेवरों और छोटे व्यवसायों को अक्सर कॉर्पोरेट्स की तुलना में पार्टनरशिप फर्म या एलएलपी के रूप में शामिल किया जाता है। मौजूदा कानून के अनुसार, पार्टनरशिप फर्मों और एलएलपी पर एक समान 30 फीसदी (प्लस लागू सरचार्ज और सेस) टैक्स लगाया जाता है, जिसके चलते ज्यादातर मामलों में प्रभावी टैक्स दर 34.94 फीसदी हो जाती है। हालांकि, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के रूप में स्थापित और संचालित होने वाले बिजनेस को कम प्रभावी टैक्स दरों का लाभ दिया जाता है। इन्हें कुछ शर्तों के अधीन 25.17% या 17.16% जैसी कम प्रभावी टैक्स दरों का लाभ दिया जाता है।
रियायती दर पर टैक्स भुगतान का ऑप्शन नहीं
स्मॉल और मिडियम बिजनेस का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत या तो पार्टनरशिप फर्म या एलएलपी के रूप में काम करता है और बहुत अधिक रेट पर टैक्स का भुगतान करता है। इसके अलावा, उनके पास रियायती दर पर टैक्स का भुगतान करने का कोई विकल्प नहीं है। इसलिए एंटरप्रेन्योरशिप और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए साझेदारी फर्मों और एलएलपी के लिए टैक्स दरों को कम करने की आवश्यकता है। वैकल्पिक रूप से एक निश्चित सीमा तक टर्नओवर वाले पार्टनरशिप फर्मों और एलएलपी के लिए रियायती व्यवस्था की शुरूआत पर बजट 2024 में विचार किया जा सकता है।
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रोहित ओझा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉरस्पॉडेंट सितंबर 2023 से काम कर रहे हैं। यहां पर वो बिजेनस और यूटिलिटी की खबरों पर काम करते हैं। मी...और देखें
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