Budget 2024: लोकलुभावन बजट क्या है? जानिए इसके नुकसान और फायदे

Populist Budget: नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट 1 फरवरी 2024 को पेश किया जाएगा। आइए जानते हैं लोकलुभावन बजट क्या है, इसके फायदे और नुकसान क्या है?

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लोकलुभावन बजट क्या है?

Populist Budget: नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट एक फरवरी 2024 को पेश होगा। इस साल लोकसभा चुनाव होने वाले भी है इसलिए पूर्ण बजट के बदले अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। जब नई सरकार का गठन होगा तब पूर्ण बजट पेश किया जाएगा। अक्सर आखिरी बजट में लोकलुभावन बजट के तौर पर पेश किया जाता है। लेकिन इस तरह की घोषणाएं पूर्ण बजट में किया जाता है। अंतरिम बजट में ज्यादा कुछ घोषणा नहीं कर सकती क्योंकि सरकार का कार्यकाल चुनाव तक ही होता है। परंतु इससे पहले ही हाल के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ बीजेपी ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए कई तरह के लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की। सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं राज्य सरकारें भी लोकलुभावन बजट पेश करती हैं। आइए जानते हैं लोकलुभावन बजट क्या होता है?

लोकलुभावन बजट क्या है?

लोकलुभावन बजट एक वित्तीय योजना है जिसका उपयोग लोगों को अस्थायी रूप से खुश करने या खुश करने के लिए किया जाता है। सरकार आकर्षक योजनाओं पर अधिक खर्च करती है जिससे जनता के खाते पर भारी बोझ पड़ता है। उदाहरण के लिए कृषि लोन माफ करना, फ्री सफर कराना, विभिन्न योजनाओं के जरिये मनी ट्रांसफर करना। किसी लोकलुभावन बजट में मुख्य रूप से लोगों को खुश करने पर केंद्रित होता है लेकिन यह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कुछ खास नहीं करता है। इस तरह के बजट से सरकार कर्ज में फंसती है। इस तरह के बजट से अर्थव्यवस्था पर असर तो पड़ता है लेकिन सकारात्मक प्रभाव भी पड़ते हैं। लोगों के हाथों में पैसा जाने से बाजार को गति मिलती है। कई तरह के नुकसान भी होते हैं।

अल्पकालिक लाभ, दीर्धकालिक नुकसान

लोकलुभावन बजट से जनता के लिए तुरंत लाभ मिलता है लेकिन ये लाभ अल्पकालिक होते हैं लेकिन दीर्धकालिक नुकसान होता है। देश की अर्थव्यवस्था पर स्थायी निगेटिव प्रभाव छोड़ सकते हैं। खासकर चुनावों से पहले मुख्य रूप से राजनीतिक लाभ के लिए लोकलुभावन बजट पेश किए जाते हैं। राजनेता समग्र आर्थिक परिणामों के बारे में ज्यादा सोचे बिना वोट पाने के लिए उनका उपयोग करते हैं।

निवेशक और बाजार की चिताएं

निवेशकों और वित्तीय बाजारों को लोकलुभावन बजट पसंद नहीं आता है। उन्हें लगता है कि ये देश के पैसे के प्रबंधन के लिए अच्छे नहीं हैं। इससे सरकार को अधिक उधार लेना पड़ सकता है, देश के पैसे का मूल्य कम हो सकता है और निवेशकों का देश की अर्थव्यवस्था पर से विश्वास उठ सकता है।

महंगाई बढ़ने के आसार

लोकलुभावन बजट में बहुत अधिक पैसा खर्च होता है। अत्यधिक सब्सिडी पर खर्च हो जाता है। यह महंगाई दर बढ़ने का कारण बन सकता है। इससे चीजें अधिक महंगी हो जाती हैं, जिससे उनकी क्रय शक्ति प्रभावित होती है। पूरी अर्थव्यवस्था को नुकसान होने का खतरा हो सकता है।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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