Budget 2024: क्या होता है राजकोषीय घाटा, इसका क्या असर पड़ता है?
Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करने जा रही है। हर बजट में राजकोषीय घाटा पेश किया जाता है। आइए जानते हैं यह क्या है?
राजकोषीय घाटे के बारे में जानिए
क्या होता है राजकोषीय घाटा?
राजकोषीय घाटे का सीधा मतलब है वह राशि होती है, जब सरकार का खर्च उसकी कमाई से ज्यादा होता है। तो अतिरिक्त खर्च राजकोषीय घाटा कहलाता है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच का अंतर है। राजकोषीय घाटा उस कुल उधारी को दर्शाता है जिसकी सरकार को एक वित्तीय वर्ष में जरूरत होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो राजकोषीय घाटा सरकार के व्यय और आय के बीच का अंतर है। सरकार जीएसटी और इनकम टैक्स, सीमा शुल्क, कॉर्पोरेट कर, विनिवेश, ब्याज, लाभांश और अन्य टैक्स के माध्यम से कमाई करती है। दूसरी ओर सरकार के खर्च में पूंजीगत व्यय, कल्याणकारी योजनाएं, ब्याज भुगतान और बहुत कुछ शामिल हैं। जब सरकारी खर्च कुल राजस्व से अधिक होता है तो इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है। केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटे पर गहरी नजर होती है। यह मूल्य की स्थिरता, उत्पादन लागत और महंगाई दर जैसे विभिन्न कारकों को प्रभावित कर सकता है।
राजकोषीय घाटा का असर
अगर किसी देश का राजकोषीय घाटा बड़ा है तो यह देश की रेटिंग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। अगर राजस्व और व्यय के बीच का अंतर बड़ा है तो सरकार को अर्थव्यवस्था को चालू रखने के लिए उधार लेना होगा। अगर उधारी बढ़ती है तो ब्याज दरों पर दबाव बढ़ता है। ब्याज दरों में वृद्धि के परिणामस्वरूप उत्पादन लागत में वृद्धि होती है जिससे कीमतें ऊंची हो जाती हैं। इससे कर्ज भी बढ़ सकता है। ऐसे में असर गंभीर हो सकता है। यह मांग और आपूर्ति सीरीज, धीमी अर्थव्यवस्था, कम निवेश और बेरोजगारी दर में वृद्धि आदि को प्रभावित कर सकता है।
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