कंपनियों ने 15 साल में खूब कमाया मुनाफा, लेकिन कर्मचारियों की सैलरी जस की तस! आर्थिक सर्वे ने दिया सरकार को ये सुझाव

Economic Survey 2025: बजट-पूर्व आर्थिक सर्वे में आय असमानता को दूर करने और मांग को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों द्वारा उच्च वेतन वृद्धि की जरुरत पर प्रकाश डाला गया है। यह बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है और प्राइवेट सेक्टर को भी ऐसा ही करने की सलाह देता है।

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आर्थिक सर्वे ने सरकार को दिया सलाह (तस्वीर-Canva)

Economic Survey 2025: कंपनियों का मुनाफा 15 साल के उच्चतम स्तर पर है जबकि वास्तविक वेतन स्थिर है, शुक्रवार को बजट-पूर्व आर्थिक सर्वे ने सुझाव दिया कि कंपनियों, विशेष रूप से बड़ी कंपनियों को लाभप्रदता में वृद्धि के अनुरूप उच्च वेतन वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसने कहा कि आय असमानता को पाटने और मांग और ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए यह जरुरी था। सर्वे ने बुनियादी ढांचे के निर्माण में बड़ी मात्रा में पूंजी लगाने के सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया और कहा कि यह समय है जब प्राइवेट सेक्टर को प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

डिरेगुलेशन को खत्म करने की जोरदार वकालत करते हुए, इसने कहा कि इनोवेशन और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए सरकारें "रास्ते से हटकर" एक "महत्वपूर्ण योगदान कर सकती हैं। सर्वे ने एआई द्वारा पेश किए जाने वाले अवसरों के लिए तैयार रहने की जरुरत पर प्रकाश डाला, साथ ही भारत जैसे श्रम सरप्लस वाले देशों पर टेक्नोलॉजी के प्रतिकूल प्रभाव की ओर भी इशारा किया और चेतावनी दी कि श्रम विस्थापन के कारण बड़े कॉर्पोरेट मुनाफे के मामले में सरकार को टैक्स के माध्यम से हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।

आर्थिक सर्वे में आगामी वर्ष में 6.8% तक की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। वेतन वृद्धि को बढ़ावा देने के संबंध में, CEA ने CNBC को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह उन कॉरपोरेट्स के स्वार्थ में है, जो लाभ में तैर रहे हैं, कि वे रोजगार सृजन को गंभीरता से लें। यह अनुमान लगाते हुए कि भारत को 2047 तक 'विकसित' राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक या दो दशक तक सकल घरेलू उत्पाद में 8% की वार्षिक वृद्धि की जरुरत होगी। जो उदारीकरण के बाद के विस्तार की तुलना में काफी तेज है। केंद्र की वार्षिक आर्थिक रिपोर्ट कार्ड ने आगामी वर्ष के लिए 6.3 से 6.8% की वृद्धि का अनुमान लगाया और उम्मीद जताई कि चालू तिमाही के अंत तक खाद्य महंगाई दर कम हो जाएगी।

कुल मिलाकर हालांकि मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंथा नागेश्वरन के नेतृत्व वाली टीम का जोर अधिक डिरेगुलेशन पर था, सरकार द्वारा रास्ते से हटकर, व्यापार करने की लागत को कम करने और मजबूत वैश्विक प्रतिकूलताओं के बीच आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में तेजी लाने में मदद करने के लिए। इसने कहा कि सबसे प्रभावी नीतियां जो सरकारें संघ और राज्य अपना सकती हैं, वह है उद्यमियों और परिवारों को उनका समय और मानसिक बैंडविड्थ वापस देना। इसका मतलब है डिरेगुलेशन को काफी हद तक वापस लेना, सर्वे ने हाल के वर्षों में हल्के-फुल्के डिरेगुलेशन के लिए अब तक की सबसे मजबूत पिचों में से एक में कहा।

डिरेगुलेशन हटाने की मांग केवल उद्योग तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि कृषि सेक्टर तक भी फैली हुई थी। सर्वे में जोर दिया गया कि जब तक इस क्षेत्र को पानी की अधिक खपत वाली फसलों से आगे देखने के लिए स्वतंत्र नहीं किया जाता, तब तक अर्थव्यवस्था के बाकी हिस्सों में सुधारों का कोई फायदा नहीं होगा। इसने आगाह किया कि कृषि सेक्टर और इसके उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसे ध्यान में रखना होगा।

इसने कहा कि आज की दुनिया में यह मान्यता बढ़ रही है कि वैश्वीकरण के समय से खेल के नियम बदल गए हैं और भारत को ऐसे समय के लिए तैयार रहने के लिए प्रमुख क्षेत्रों के स्वदेशीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए नीति तैयार करने की जरुरत होगी जब बहुपक्षवाद फीका पड़ सकता है और टैरिफ बढ़ सकते हैं। सर्वे ने कहा कि धीमे व्यापार और मामूली वृद्धि के चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत और अच्छी राजकोषीय स्थिति में बनी हुई है।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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