Defence Budget 2025: डिफेंस सेक्टर को क्या उम्मींदें, क्या यह वैश्विक और घरेलू जरूरतों को पूरा कर सकता है?
India Defence Budget 2025 Expectations: भारत का रक्षा बजट 2025 GDP का 2.4% (लगभग $72.6 बिलियन) है, जिससे यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रक्षा खर्च करने वाला देश बन जाता है। हालांकि, यह अमेरिका ($916 बिलियन), चीन ($296 बिलियन) और रूस ($126 बिलियन) से काफी पीछे है।
डिफेंस बजट।
India Defence Budget 2025: भारत के रक्षा बजट 2025-26 को GDP के 1.9-2% के आसपास बनाए रखने की उम्मीद है। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने 21वें सुब्रोतो मुखर्जी सेमिनार में कहा कि संसाधनों के कुशल आवंटन को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। वर्तमान बजट घरेलू उद्योगों की क्षमता को पहले से ही पूरी तरह से उपयोग कर रहा है।
वैश्विक रक्षा खर्च में भारत की स्थिति
भारत का रक्षा बजट 2025 GDP का 2.4% (लगभग $72.6 बिलियन) है, जिससे यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रक्षा खर्च करने वाला देश बन जाता है। हालांकि, यह अमेरिका ($916 बिलियन), चीन ($296 बिलियन) और रूस ($126 बिलियन) से काफी पीछे है। वेलिना चकारोवा (FACE संस्थापक) ने कहा, "भारत का बजट उसकी क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति प्रक्षेपण की क्षमता को सीमित करता है। चीन की तेज़ी से बढ़ती सैन्य ताकत, खासकर नौसेना और AI-आधारित युद्ध प्रणाली, इसे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में प्रभावी बनाती है।"
रक्षा बजट के उपयोग में चुनौतियां
रक्षा बजट में राजस्व व्यय का बड़ा हिस्सा तनख्वाह और पेंशन में जाता है, जो 60% से अधिक है। यह बजट आधुनिकीकरण की दिशा में धीमा प्रगति करता है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के डॉ. अमित सिंह ने कहा, "अगर कर्मियों की लागत कम होती, तो आधुनिक प्रौद्योगिकियों के लिए अधिक धन आवंटित किया जा सकता था।" S-400 ट्रायम्फ सिस्टम और राफेल जेट्स जैसे आधुनिकीकरण प्रयासों को जारी रखने के लिए लगातार निवेश की जरूरत है।
आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर जोर
सरकार ने 2025 में 1.72 ट्रिलियन रुपये (लगभग $21 बिलियन) पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित किए हैं, जिसमें से 75% स्वदेशी खरीद के लिए रखा गया है। सैमटेल एवियोनिक्स लिमिटेड के पुनीत कौरा ने कहा, "स्वदेशी उत्पादन महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी विनिर्माण क्षमता विश्व स्तरीय हो।" भारत रक्षा हार्डवेयर का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक है, जहां 68% उपकरण विदेशी स्रोतों से आते हैं। एमकेयू लिमिटेड के प्रबंध निदेशक नीरज गुप्ता ने कहा, "भारत को ड्रोन, आर्टिलरी और छोटे हथियारों जैसे किफायती उपकरणों के उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए।"
- अमेरिका: P-8I एयरक्राफ्ट और MH-60R हेलीकॉप्टर जैसे सौदे।
- रूस: ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना और परमाणु पनडुब्बियों का लीज़।
- फ्रांस: राफेल जेट्स और मेक-इन-इंडिया पहल।
- इजराइल: बराक-8 मिसाइल सिस्टम और UAVs।
रक्षा अनुसंधान और विकास (R&D) में मात्र 1% खर्च भारत की सीमाओं को दर्शाता है, जबकि अमेरिका 13% आवंटित करता है। AI, क्वांटम टेक्नोलॉजी और हाइपरसोनिक हथियार जैसे क्षेत्रों में प्रगति आवश्यक है।
भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं
भारत के लिए सीमाओं पर सुरक्षा चुनौतियों, विशेष रूप से चीन के साथ LAC और पाकिस्तान के साथ LoC, पर फोकस करना महत्वपूर्ण है।
2025 का रक्षा बजट अगर प्रभावी तरीके से उपयोग किया गया, तो यह देश को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक रक्षा बाजार में स्थापित करने में मददगार साबित होगा।
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