Budget 2024 Capital Expenditure: 11 लाख करोड़ से बनेंगे एयरपोर्ट, रोड और पुल, बदलेगी भारत की तस्वीर
Union budget 2024 capital expenditure in Hindi: बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत खर्च) या कैपेक्स के लिए 11.11 लाख करोड़ रु का आवंटन शामिल है, जो सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर फोकस को दर्शाता है।
बजट 2024 में रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय का ऐलान
- वित्त मंत्री ने पेश किया अंतरिम बजट
- 11.11 लाख करोड़ रु के कैपेक्स का ऐलान
- बनेंगे 4 नए कॉरिडोर
Budget 2024-25 Capital Expenditure & Infra: आज गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश किया। बजट में कई अहम घोषणाएं की गईं। इनमें कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत खर्च) या कैपेक्स के लिए 11.11 लाख करोड़ रु का आवंटन शामिल है, जो सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर फोकस को दर्शाता है। 11.11 लाख करोड़ रु का कैपेक्स जीडीपी का 3.4 फीसदी है। कैपेक्स में 11.1 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है, जो 2023-24 के लिए 10 लाख करोड़ रु था। कैपेक्स 2020-21 में 4.1 लाख करोड़ से 2024-25 के लिए 11.11 लाख करोड़ रु पर पहुंच गया है। केंद्र सरकार ने कैपेक्स में लगातार चौथे वर्ष इजाफा किया है। गौरतलब है कि कैपेक्स में बढ़ोतरी की उम्मीद पहले से की जा रही थी। 11.11 लाख करोड़ रु का कैपेक्स कहां-कहां खर्च होगा और देश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में क्या हैं इसके मायने, आगे जानिए।
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नए 4 कॉरिडोर का हुआ ऐलान
बजट में फ्रेट कॉरिडोर (माल ढोने के लिए रेलवे कॉरिडोर) के डेवलपमेंट का ऐलान किया गया है। इसके अलावा 3 और रेलवे कॉरिडोर भी तैयार किए जाएंगे। इनमें सीमेंट और कोयला ढोने के लिए एनर्जी और सीमेंट कॉरिडोर, देश के प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ने वाला पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर और जिन रेलमार्गों पर ट्रेनों की संख्या अधिक है उन पर बनने वाला हाई ट्रैफिक डेंसिटी कॉरिडोर शामिल है।
इसी तरह पीएम गतिशक्ति के तहत तीन प्रमुख आर्थिक रेल कोरिडोर प्रोग्राम की पहचान की गई है।
कोयले से गैस बनाने की कैपेसिटी बढ़ाई जाएगी
वहीं वित्त मंत्री ने कोयले से गैस बनाने की कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का ऐलान किया है। इस कैपैसिटी को 2030 तक 100 मीट्रिक टन तक बढ़ाया जाएगा। इससे नेचुरल गैस, मेथेनॉल और अमोनिया के इम्पोर्ट का खर्च घटेगा।
किस सेगमेंट पर कितना खर्च
अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को 1.68 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। हाईवे सेक्टर के लिए 2.78 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। भारत में हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाने की जिम्मेदारी एनएचएआई और राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) पर ही है।
क्या होता है कैपिटल एक्सपेंडिचर
जो खर्च सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर करती है उसे कैपिटल एक्सपेंडिचर कहते है। इसमें एयरपोर्ट, फ्लाईओवर, एक्सप्रेसवे और अस्पताल जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स शामिल होते हैं। सरकार ये खर्च डेवलपमेंट के लिए लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के तौर पर करती है।
कैपेक्स के जरिए नई फैक्ट्रियां तैयार होती हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर बनते हैं। इस तरह की चीजों से सरकार को भी टैक्स मिलता है, जो उसकी कमाई होती है।
इस साल के 5 बड़े प्रोजेक्ट्स
- मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (अटल सेतु), जो कि भारत में सबसे लंबा समुद्री पुल। इसकी लागत लागत 17840 करोड़ रु है
- 17000 करोड़ रु की लागत वाला नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो मेट्रो, रेल, सड़क और समुद्र से भी कनेक्ट होगा
- नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो पहले फेज में ही सालाना 1.2 करोड़ लोगों को मैनेज करेगा। इसकी लागत 29650 करोड़ रु होगी
- 23136 करोड़ रु की लागत वाला मुंबई मेट्रो की एक्वा लाइन 3, जो 3 रेलवे और 2 एयरपोर्ट टर्मिनल से कनेक्ट होगा
- मुंबई कोस्टल रोड, जो नॉर्थ और साउथ मुंबई को कनेक्ट करेगा। इसकी लागत 12721 करोड़ रु होगी
ये होंगी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े बड़ी परियोजनाएं
इस बार के कैपेक्स के तहत सरकार की योजना में मेट्रो और नमो भारत के तहत चल रहे मौजूदा प्रोजेक्ट्स का विस्तार करना, जी20 समिट में घोषित किए गए इंडिया-मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर को डेवलप करना और कोयले से गैस बनाने की कैपेसिटी को बढ़ाना शामिल है।
कोयले से गैस बनाने की क्षमता को 2030 तक 100 मीट्रिक टन तक बढ़ाया जाएगा, जिससे सरकार नेचुरल गैस, मेथेनॉल और अमोनिया का आयात घटा सकेगी। इंडिया-मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर से भारत से पश्चिमी दुनिया से आसानी से कारोबार कर सकेगा।
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