Budget 2024: लेदर इंडस्ट्री के लिए भी हो PLI स्कीम, बनेंगे 20 लाख कार्यबल अवसर, मिलेगा ज्यादा रोजगार
Budget Expectations: वित्त वर्ष 2022-23 में नम नीले चमड़े, क्रस्ट और तैयार चमड़े का आयात 45.07 करोड़ डॉलर का था लेकिन मूल्यवर्धित उत्पादों (Value Added) का निर्यात 5.26 अरब डॉलर था, जो आयात से 10 गुना अधिक है। ऐसे में आयात शुल्क में छूट की मांग इंडस्ट्री ने की है।

बजट से चमड़ा उद्योग को उम्मीदें
Budget Expectations:चमड़ा और फुटवियर निर्यातकों (CLE) के संगठन ने मंगलवार को सरकार से रोजगार बढ़ाने, घरेलू विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना को चमड़ा उद्योग के लिए शुरू करने की मांग की है। इसके साथ ही सीएलई (CLE) ने सरकार से नम नीले चमड़े, क्रस्ट (टैनिंग के बाद सुखाए गए) चमड़े और तैयार चमड़े पर आयात शुल्क में छूट देने का भी आग्रह किया। संगठन के अनुसार अगर पीएलआई स्कीम शुरू होती है तो 6,000 करोड़ रुपये का न केवल निवेश आएगा, बल्कि प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 20 लाख श्रम कार्यबल के अतिरिक्त रोजगार भी पैदा होंगे।
कैसे मिलेगा फायदा
चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) के चेयरमैन राजेंद्र कुमार जालान ने यहां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-पूर्व बैठक में मांग रखते हुए कहा है कि पीएलआई योजना को लागू करने से चमड़ा उद्योग का संरचनात्मक बदलाव होगा और देश एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र बन जाएगा। जालान ने कहा कि पीएलआई न केवल क्षमता आधुनिकीकरण और मौजूदा इकाइयों के विस्तार बल्कि स्टार्टअप में भी घरेलू एवं विदेशी निवेश को बढ़ावा देगा, जिससे टोटल प्रोडक्शन के आधार का विस्तार होगा।उन्होंने कहा कि पीएलआई के लाभ में 6,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 20 लाख श्रम कार्यबल का अतिरिक्त रोजगार सृजन शामिल होगा।
ज्यादा आयात शुल्क से बड़ा नुकसान
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में नम नीले चमड़े, क्रस्ट और तैयार चमड़े का आयात 45.07 करोड़ डॉलर का था लेकिन मूल्यवर्धित उत्पादों (Value Added) का निर्यात 5.26 अरब डॉलर था, जो आयात से 10 गुना अधिक है। सरकार से अनुरोध है कि नम नीले, क्रस्ट और तैयार चमड़े पर लग रहे 10 प्रतिशत आयात शुल्क को हटा दिया जाए।
जालान ने सरकार से क्रस्ट चमड़े समेत सभी मूल्यवर्धित चमड़े के निर्यात को बिना किसी निर्यात शुल्क के अनुमति देने का भी अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर अगले दो-तीन वर्षों में मूल्यवर्धित चमड़े के निर्यात में कम-से-कम एक अरब डॉलर का बड़ा उछाल आएगा।
फिलहाल कच्ची खाल, क्रस्ट एवं नम नीले चमड़े पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगता है।
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