Budget 2024: सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाए सरकार, बैंक खाते के ब्याज पर टैक्स में मिले राहत- SBI रिपोर्ट

SBI On Budget 2024: सरकार को जमा ब्याज पर कर में बदलाव करना चाहिए और म्यूचुअल फंड तथा शेयर बाजारों के अनुरूप विभिन्न परिपक्वता अवधि वाली जमाओं पर एक जैसा व्यवहार करना चाहिए। घरेलू शुद्ध वित्तीय बचत घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.3 प्रतिशत हो गई और 2023-24 में इसके 5.4 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है।

Budget 2024: सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाए सरकार, बैंक खाते के ब्याज पर टैक्स में मिले राहत- SBI रिपोर्ट
SBI On Budget 2024:सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) में विनिवेश को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि वे अच्छी स्थिति में हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक शोध विभाग ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।रिपोर्ट में मौजूदा सरकारी बैंकों को सुदृढ़ करने पर भी जोर दिया गया है।‘केंद्रीय बजट 2024-25 की प्रस्तावना’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक अच्छी स्थिति में हैं, इसलिए सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश को लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

IDBI पर फैसले की उम्मीद

रिपोर्ट में आईडीबीआई बैंक (IDBI) के निजीकरण के संबंध में कहा गया है कि सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) बैंक में लगभग 61 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रहे हैं।रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अक्टूबर, 2022 में खरीदारों से बोलियां आमंत्रित कीं। निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को जनवरी, 2023 में पेशकश पर आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी के लिए कई रुचि पत्र प्राप्त हुए। हमें उम्मीद है कि सरकार बजट में इसे स्पष्ट करेगी।वर्तमान में, आईडीबीआई बैंक में सरकार की 45 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है और (एलआईसी) की 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

ब्याज पर टैक्स में हो कटौती

रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि सरकार को जमा ब्याज पर कर में बदलाव करना चाहिए और म्यूचुअल फंड तथा शेयर बाजारों के अनुरूप विभिन्न परिपक्वता अवधि वाली जमाओं पर एक जैसा व्यवहार करना चाहिए।इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू शुद्ध वित्तीय बचत घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.3 प्रतिशत हो गई और 2023-24 में इसके 5.4 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। यदि हम म्यूचुअल फंड के अनुरूप जमा दर को आकर्षक बनाते हैं, तो इससे घरेलू वित्तीय बचत और चालू खाता और बचत खाता (CASA) में वृद्धि हो सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि यह राशि जमाकर्ताओं के हाथ में होगी, इससे अतिरिक्त खर्च हो सकता है और इस तरह सरकार को अधिक माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व मिलेगा।इसमें कहा गया है, ‘‘बैंक जमा में वृद्धि से न केवल मूल जमा आधार और वित्तीय प्रणाली में स्थिरता आएगी बल्कि घरेलू बचत में भी वित्तीय स्थिरता आएगी क्योंकि बैंक प्रणाली बेहतर तरीके से नियमन के दायरे में है और उच्च जोखिम/अस्थिरता वाले अन्य विकल्पों की तुलना में इसको लेकर लेकर ज्यादा भरोसा है।’’
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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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