Indexation: क्या होता है इंडेक्सेशन,जिसकी वजह से प्रॉपर्टी बेचना हुआ महंगा और अब वित्त मंत्रालय दे रहा सफाई
What is Indexation: जब कोई व्यक्ति अपनी पुरानी प्रॉपर्टी बेचता है तो उसकी बढ़ी हुई कीमत में महंगाई को भी शामिल किया जाता है। ऐसे में उस व्यक्ति पर कम टैक्स देनदारी बनती है। नई व्यवस्था में महंगाई के असर को बाहर कर दिया गया है। हालांकि इस सुविधा को हटाने के साथ ही टैक्स दर 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी की गई है।
क्या होता है इंडेक्सेशन
What is Indexation: 23 जुलाई को बजट पेश होने के बाद, जिस बात की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह इंडेक्सेशन (Indexation)है। असल में बजट में प्रॉपर्टी बेचने पर करदाताओं को मिलने वाला ‘इंडेक्सेशन’ लाभ हटा दिया गया है। यानी उनकी प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों पर टैक्स तय करते समय महंगाई का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में प्रॉपर्टी बेचने वाले पर ज्यादा टैक्स देनदारी बन सकती है। हालांकि सरकार की सफाई है चूंकि इंडेक्सेशन लाभ हटाने के बावजूद टैक्स रेट घटाए गए हैं, उससे लोगों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। बजट में रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एलटीसीजी को ‘इंडेक्सेशन’ लाभ सहित 20 प्रतिशत से घटाकर बिना ‘इंडेक्सेशन’ के 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि 2001 से पहली खरीदी गई प्रॉपर्टी पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा।
How Indexation Calculated (कैसे कैलकुलेट होता है इंडेक्सेशन)
महंगाई के लिए ‘इंडेक्सेशन’ चार से पांच प्रतिशत के आसपास है, जो संपत्ति को कितने समय के लिए अपने पास रखा गया उस अवधि पर निर्भर करता है। यानी जब कोई व्यक्ति अपनी पुरानी प्रॉपर्टी बेचता है तो उसकी बढ़ी हुई कीमत में महंगाई को भी शामिल किया जाता है। मतलब ये है कि अगर किसी व्यक्ति ने 10 साल पहले 20 लाख में कोई प्रॉपर्टी खरीदी है। और उसे अब वह 30 लाख में बेच रहा है। तो टैक्स की गणना 20 लाख के लाभ पर नहीं बल्कि उसमें से महंगाई के असर को घटाकर की जाती है। ऐसे में उस व्यक्ति पर कम टैक्स देनदारी बनती है। नई व्यवस्था में महंगाई के असर को बाहर कर दिया गया है। हालांकि इस सुविधा को हटाने के साथ ही टैक्स दर 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी की गई है। अब इसी पर इनकम टैक्स विभाग ने सफाई दी है।
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आयकर विभाग बोला नहीं होगा नुकसान
आयकर विभाग ने बुधवार को कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (LTCG) की दर में कटौती से अधिकतर करदाताओं को पर्याप्त कर बचत होने की उम्मीद है।आयकर विभाग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक खाते पर लिखा,नाममात्र अचल संपत्ति रिटर्न आम तौर पर 12-16 प्रतिशत प्रति वर्ष के आसपास है, जो मुद्रास्फीति से बहुत अधिक है।विभाग के अनुसार, मुद्रास्फीति के लिए ‘इंडेक्सेशन’चार से पांच प्रतिशत के आसपास है, जो संपत्ति को कितने समय के लिए अपने पास रखा गया उस अवधि पर निर्भर करता है। इसलिए, ऐसे करदाताओं में से अधिकतर को पर्याप्त कर बचत की उम्मीद है।अचल संपत्ति की अवधि के आधार पर लाभों की तुलना करते हुए आयकर विभाग ने कहा कि बिना ‘इंडेक्सेशन’ के नई कर दर अधिकतर मामलों में लाभकारी है।
नई व्यवस्था कब फायदेमंद
पांच वर्षों तक रखी गई संपत्ति के लिए नई व्यवस्था तब लाभकारी होगी जब संपत्ति का मूल्य 1.7 गुना या उससे अधिक बढ़ गया हो, जबकि 10 वर्षों तक रखी गई संपत्ति के लिए यह तब लाभकारी होगी जब मूल्य 2.4 गुना या उससे अधिक बढ़ गया हो। 2009-10 में खरीदी गई संपत्ति के लिए यदि मूल्य 4.9 गुना या उससे अधिक बढ़ गया है तो यह फायदेमंद होगा।
आयकर विभाग ने कहा, कि उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि केवल उन क्षेत्रों में, जहां रिटर्न कम है (करीब 9-11 प्रतिशत प्रति वर्ष से कम), वहां पहले की कर दर लाभदायक है, लेकिन रियल एस्टेट में इतना कम रिटर्न अवास्तविक तथा दुर्लभ है। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में लाए गए बदलावों के अनुसार, सरकार ने 2001 से पहले खरीदी गई या विरासत में मिली संपत्तियों पर करदाताओं के लिए ‘इंडेक्सेशन’ लाभ बरकरार रखा है। कर की दर में बदलाव 23 जुलाई 2024 से प्रभावी हो गए हैं।
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