Standard Deduction: क्या होता है स्टैंडर्ड डिडक्शन, कौन उठा सकता है फायदा, बढ़ी लिमिट तो ऐसे मिलेगा लाभ
What is Standard Deduction: स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव हुए लगभग पांच साल हो चुके हैं। साल 2019 में इसमें बदलाव हुआ था, जब लिमिट बढ़ाई गई थी। फिलहाल स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50,000 है, लेकिन इसे बढ़ाने की लागातर मांग की जा रही है। टैक्सपेयर्स को इस बजट से उम्मीद है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाई जाएगी।
What is Standard Deduction
- इनकम टैक्स के तहत सैलरी क्लास को मिली है खास राहत।
- प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के टैक्सपेयर्स इसका लाभ ले सकते हैं।
- क्लेम के लिए डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है।
What is Standard Deduction: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को आम बजट 2024 संसद के पटल पर पेश करेंगी। देश के हर एक वर्ग को बजट से खास उम्मीदें हैं, लेकिन अगर कोई सबसे अधिक उम्मीद लगाए बैठा है, तो वो हैं देश के टैक्सपेयर्स। देश के सैलरीक्लास टैक्सपेयर्स लगातार स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफे की मांग कर रहे हैं। पिछले साल के आम बजट में जब स्टैंडर्ड डिडक्शन को शामिल किया है, उसके बाद से ही इसे 50,000 से बढ़ाकर 1,00,000 करने की मांग चल रही है। अब ये स्टैंडर्ड डिडक्शन क्या है, इसकी मांग क्यों हो रही और टैक्सपेयर्स पर इसका क्या असर पड़ता है, आइए जान लेते हैं।
क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन
इनकम टैक्स के तहत सैलरी क्लास को खास राहत मिली हुई है। पेंशनर्स भी इसका फायदा उठा सकते हैं। इसमें एक निश्चित राशि टैक्सबेल इनकम से घटाने की अनुमति है। स्टैंडर्ड डिडक्शन सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाले डिडक्शन में से एक है। सैलरीड क्लास टैक्सपेयर्स बिना कोई निवेश किए इसके लिए क्लेम कर सकते हैं। स्टैंडर्ड डिडक्शन में पिछले पांच साल कोई भी बदलाव नहीं हुआ है। पिछले साल इसे न्यू टैक्स रीजिम में शामिल किया था, जिससे अब दोनों ही टैक्स व्यवस्था में शामिल है।
पहली बार कब किया गया था पेश
स्टैंडर्ड डिडक्शन के कॉन्सेप्ट को भारत में पहली बार साल 1974 में पेश किया गया था। यह कटौती सैलरी क्लास के टैक्सपेयर्स और पेंशनर्स को उनके कुछ खर्चों की भरपाई के लिए उपलब्ध थी। इसे 2004-2005 में टैक्स सरलीकरण उपायों के हिस्से के रूप में हटा दिया गया था। हालांकि, इसे 2018 में केंद्रीय बजट में फिर से पेश किया गया और वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 40,000 रुपये निर्धारित किया गया।
बजट 2018 में ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल खर्च के रीइंबर्समेंट के टैक्स बेनिफिट को वापस लेकर इसे बहाल कर दिया गया। फिर एक फरवरी, 2019 को पेश किए गए अंतरिम बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया।
कौन उठा सकता है इसका फायदा
स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर में काम करने वाले टैक्सपेयर्स उठा सकते हैं। सेल्फ एंप्लॉयड को इसका फायदा नहीं मिलता है। इसके आलावा बिजनेस करने वाले टैक्सपेयर्स भी इस डिडक्शन का लाभ नहीं उठा सकते हैं। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय टैक्सपेयर्स इस डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं। इसका लाभ लेने के लिए किसी भी तरह के डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं पड़ती। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले टैक्सपेयर्स के फॉर्म-16 में स्टैंडर्ड डिडक्शन के लाभ योग्य राशि लिखी होती है।
स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी से क्या होगा फायदा
टैक्स के मामले की जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई दर के कारण जीवन-यापन की लागत बढ़ी है। अगर स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा होता है, तो मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स की पर्चेजिंग पावर को सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है। हाई स्टैंडर्ड डिडक्शन खासतौर पर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लिए अधिक महत्वपूर्ण कर राहत प्रदान कर टैक्स सिस्टम अधिक इक्विटी को बढ़ावा देता है। हाई स्टैंडर्ड डिडक्शन से सैलरी क्लास टैक्सपेयर्स और पेंशनर्स की टैक्सेबल इनकम में कमी आएगी। इससे उनके डिस्पोजेबल इनकम में इजाफा होगा, जिससे उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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रोहित ओझा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉरस्पॉडेंट सितंबर 2023 से काम कर रहे हैं। यहां पर वो बिजेनस और यूटिलिटी की खबरों पर काम करते हैं। मी...और देखें
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