GST @7 Years: जीएसटी के 7 साल, सीबीआईसी का दावा रोजमर्रा की वस्तुएं हुई सस्ती, देखें लिस्ट
GST @7 Years: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड का दावा है कि पिछले 7 साल में जीएसटी लागू होने के बाद घरों में उपयोग होने वाली कई वस्तुओं जैसे आटा, कॉस्मेटिक, टेलीविजन और रेफ्रिजरेटर आदि की कीमतों में कमी आई है।
जीएसटी लागू होने से रोजमर्रा की चीजों के दाम घटे
GST @7 Years: एक जुलाई को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लागू हुए 7 वर्ष पूरे होने वाले हैं। इसे एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। इसमें 17 स्थानीय टैक्स और फीस को शामिल किया गया था। पिछले सात वर्षों में देखा जाए तो कई उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी से टैक्स की दर में कमी आई है और जनता को सीधा फायदा हुआ है। इस बात का दावा केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा जारी डाटा में यह बात सामने आई है।
इन रोजमर्रा की वस्तुओं पर घटे टैक्स
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की ओर से जारी किए गए डेटा के मुताबिक, जीएसटी लागू होने के बाद घरों में उपयोग होने वाली कई वस्तुओं जैसे आटा, कॉस्मेटिक, टेलीविजन और रेफ्रिजरेटर आदि की कीमतों में कमी आई है। सीबीआईसी के आंकड़ों के मुताबिक, जीएसटी आने से पहले आटे, दही एवं छाछ और शहद पर क्रमशः 3.5 प्रतिशत, 4 प्रतिशत और 6 प्रतिशत टैक्स लगता था, जो अब शून्य हो गया है। वहीं, कॉस्मेटिक और डिटर्जेंट पर 28 प्रतिशत, हेयर ऑयल, साबुन और टूथपेस्ट पर 27 प्रतिशत टैक्स लगता था। जीएसटी आने के बाद इन उत्पादों पर 18 प्रतिशत टैक्स लगता है।
इसी तरह जीएसटी आने से पहले एलपीजी चूल्हे पर 21 प्रतिशत टैक्स लगता था, जो कि अब घटकर 18 प्रतिशत हो गया है। सीबीआईसी द्वारा आंकड़ों में बताया गया कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, पंखा, वाटर कूलर और फर्नीचर पर जीएसटी लागू होने से पहले 31.3 प्रतिशत टैक्स लगता था, जो अब घटकर 18 प्रतिशत हो गया है।
सिंपल करने पर फोकस
हाल ही में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मैं करदाताओं को विश्वास दिलाना चाहती हूं कि हमारा इरादा जीएसटी करदाताओं की जिंदगी को आसान बनाना है। हम सिस्टम की जटिलताओं को कम करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। इसी बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को भी जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है। अगर ऐसा होता है तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आ सकती है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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