US Fed Reserve: अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के ब्याज दर में कटौती का भारत पर असर कम होगा: सीईए
US Fed Reserve: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को अपनी प्रमुख लेंडिंग रेट (उधार दर) में 50 बेसिस प्वाइंट यानी आधी फीसदी की कटौती की है। यह कोविड महामारी के बाद पहली कटौती है।
अमेरिका के फैसले का भारत पर असर
US Fed Reserve:मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के ब्याज दर में कटौती के कदम का भारत पर असर कम ही होगा।उन्होंने कहा कि भारतीय शेयर बाजार पहले से ही निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। कुल मिलाकर ब्याज दरों में कटौती उभरते बाजारों के लिए सकारात्मक है। अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी ने मुख्य दरों को 50 आधार अंकों से घटाकर 5.25-5.50 प्रतिशत से 4.75-5.00 प्रतिशत कर दिया है। इसके बाद से उम्मीद लगाई जा रही है कि फेड के कदम का दुनिया भर के बाजारों पर बड़ा असर होगा।
क्यों होगा थोड़ा असर
नागेश्वरन ने डेलॉयट के ‘गवर्नमेंट समिट’ 2024 में कहा कि भारत पर इसका असर थोड़ा कम होगा । इसका अधिकतर हिस्सा (दर कटौती) मूल्य आधारित होगा।इससे पहले आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के ब्याज दर में कटौती का भारत में विदेशी निवेश पर कोई महत्वपूर्ण असर पड़ने की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने वही किया है जो उसे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए उसे सही लगता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए ब्याज दरों में कटौती का फैसला करेगा।
रखनी होगी नजर
सेठ ने कहा कि फेड रिजर्व का कदम भारतीय अर्थव्यवस्था सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है। यह उच्च स्तर से 50 आधार अंकों की कटौती है। मुझे नहीं लगता कि इससे निवेश पर कोई खास असर पड़ेगा। हमें यह देखना होगा कि (अमेरिकी ब्याज दरों का) स्तर कहां हैं। हमें यह भी देखना होगा कि अन्य अर्थव्यवस्थाओं के बाजार किस तरह का व्यवहार करते हैं।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को अपनी प्रमुख लेंडिंग रेट (उधार दर) में 50 बेसिस प्वाइंट यानी आधी फीसदी की कटौती की है। यह कोविड महामारी के बाद पहली कटौती है। इसे अमेरिकी लेबर मार्केट को मजबूत करने के उद्देश्य से नीतिगत बदलाव के रूप में एक आक्रामक शुरुआत माना जा रहा है। मार्च 2020 के बाद की ये पहली कटौती है।
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