China-India Trade:अमेरिका को पछाड़ चीन फिर बना भारत का नंबर वन ट्रेड पार्टनर, 100 अरब डॉलर के आयात ने पलटी बाजी

GTRI Report On India Trade Partners: पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत का निर्यात 8.7 प्रतिशत बढ़कर 16.67 अरब डॉलर हो गया। वहीं पड़ोसी देश से भारत का आयात 3.24 प्रतिशत बढ़कर 101.7 अरब डॉलर हो गया।

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चीन ने अमेरिका को पछाड़ा

GTRI Report On India Trade Partners:भारत और चीन के बीच भले ही सीमा विवाद को लेकर रिश्ते तल्ख हैं, लेकिन कारोबार के मामले में तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है। करीब 2 साल बाद चीन फिर से भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बन गया है। बीते वित्त वर्ष (2023-24) में 118.4 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ चीन, भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर रहा है। जबकि इसके पहले लगातार दो साल से अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर रहा था। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI)की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। चीन से भारत का होने वाला आयात 100 अरब डॉलर से ज्यादा होने की वजह से अमेरिका इस बार पीछे रह गया है।

चीन कैसे बना सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर

पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत का निर्यात 8.7 प्रतिशत बढ़कर 16.67 अरब डॉलर हो गया। लौह अयस्क, सूती धागा/कपड़े/मेडअप, हथकरघा, मसाले, फल और सब्जियां, प्लास्टिक और लिनोलियम जैसे क्षेत्रों में भारत का निर्यात बढ़ा है। वहीं बीते वित्त वर्ष में पड़ोसी देश से भारत का आयात 3.24 प्रतिशत बढ़कर 101.7 अरब डॉलर हो गया।
दूसरी ओर, अमेरिका को निर्यात 2023-24 में 1.32 प्रतिशत घटकर 77.5 अरब डॉलर रह गया। 2022-23 में यह 78.54 अरब डॉलर था। अमेरिका से भारत का आयात लगभग 20 प्रतिशत घटकर 40.8 अरब डॉलर रह गया। जीटीआरआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 के दौरान शीर्ष 15 व्यापारिक भागीदारों के साथ भारत के व्यापार में काफी बदलाव आया है। इससे न केवल आयात और निर्यात प्रभावित हुआ है बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार अधिशेष और व्यापार घाटे की स्थिति भी बदली है।
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 118.3 अरब डॉलर रहा है। 2021-22 और 2022-23 में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।

टॉप-15 देशों की लिस्ट में बड़े बदलाव
जीटीआरआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 के दौरान शीर्ष 15 व्यापारिक भागीदारों के साथ भारत के व्यापार में काफी बदलाव आया है। इससे न केवल आयात और निर्यात प्रभावित हुआ है बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार अधिशेष और व्यापार घाटे की स्थिति भी बदली है। इसमें कहा गया है कि इस अवधि में चीन को निर्यात में 0.6 प्रतिशत की मामूली गिरावट देखी गई, जो 16.75 अरब डॉलर से घटकर 16.66 अरब डॉलर पर आ गया। वहीं चीन से आयात 44.7 प्रतिशत बढ़कर 70.32 अरब डॉलर से 101.75 अरब डॉलर हो गया।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि आयात में इस वृद्धि के कारण व्यापार घाटा बढ़ गया, जो 2018-19 के 53.57 अरब डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 85.09 अरब डॉलर हो गया।इसके विपरीत इस अवधि में अमेरिका के साथ व्यापार में वृद्धि देखी गई। अमेरिका को निर्यात में 47.9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो 52.41 अरब डॉलर से बढ़कर 77.52 अरब डॉलर हो गया। अमेरिका से आयात भी 14.7 प्रतिशत बढ़कर 35.55 अरब डॉलर से 40.78 अरब डॉलर हो गया। इसके चलते भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष 16.86 अरब डॉलर से बढ़कर 36.74 अरब डॉलर हो गया।
कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार, चीन 2013-14 से 2017-18 तक और 2020-21 में भी भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार था। चीन से पहले, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) देश का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। 2021-22 और 2022-23 में अमेरिका सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
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