India vs China stock market: खत्म हुआ चीन का खेल! 'भारतीय शेयर बेचो, चीन का खरीदो' का अब कितना असर; विदेशी निवेशक लौटेंगे?
India vs China stock market, FII return: इंडियन स्टॉक बेचो, चीन के खरीदो' ('Sell India buy China') बिजनेस स्ट्रैटजी चर्चा में बनी रही। चीन की सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन उपाय लागू किए, जिनमें इंफ्रस्ट्रक्चर ढांचे पर खर्च, टैक्स कटौती और मौद्रिक नीति में ढील शामिल है।
Sell India buy China
India vs China stock market, FII return: चीन और हांगकांग के शेयरों में शुक्रवार को जोरदार गिरावट देखने को मिली। इसके ब्लू-चिप CSI300 और शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स में 9 अक्टूबर के बाद से सबसे बड़ी इंट्राडे गिरावट देखने को मिली। इसकी वजह प्रमुख टेक कंपनियों की कम इनकम एस्टीमेट और चीन के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प की भविष्य की नीतियों पर चिंता को माना गया। जहां शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स 3.06% गिरकर 3,267.19 पर बंद हुआ। सीएसआई300 इंडेक्स में 3.1% की गिरावट आई।
क्यों धड़ाम हो रहे चीन के स्टॉक? दो कारण
1. डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव जीतने से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को लेकर चिंता और कम्पनियों की निराशाजनक इनकम रिपोर्ट, जिसके कारण बिकवाली ज्यादा बढ़ी।
2. उपभोक्ता मांग के संकेतक माने जाने वाले PDD और Baidu ने कम रेवेन्यू की जानकारी दी। ब्लूमबर्ग के अनुसार, AI की दिग्गज Baidu की बिक्री में दो साल में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली, जबकि ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफ़ॉर्म PDD के मुनाफे में गिरावट आई।
'भारत बेचो, चीन खरीदो' ट्रेड स्ट्रैटजी क्या है?
हाल ही में चीन से प्रोत्साहन की खबरों के बीच 'इंडियन स्टॉक बेचो, चीन के खरीदो' ('Sell India buy China') बिजनेस स्ट्रैटजी चर्चा में बनी रही। चीन की सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन उपाय लागू किए, जिनमें इंफ्रस्ट्रक्चर ढांचे पर खर्च, टैक्स कटौती और मौद्रिक नीति में ढील शामिल है। इसके उलट, भारत को कई खराब तिमाही नतीजों का सामना करना पड़ा। जिससे, एफआईआई ने भारतीय इक्विटी में अपनी हिस्सेदारी कम करना शुरू कर दिया और चीन के शेयरों में अपना निवेश बढ़ाना शुरू कर दिया।
एफआईआई पलायन: 15,5730 करोड़ रुपये की बिकवाली
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा, "नवंबर में 22 तारीख तक एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली जारी रही। अक्टूबर में एक्सचेंजों के माध्यम से 1,13,858 करोड़ रुपये की इक्विटी बेचने के बाद, एफआईआई ने नवंबर में 22 तारीख तक एक्सचेंजों के माध्यम से 41,872 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है। हालांकि, उन्होंने कहा कि प्राथमिक बाजारों के माध्यम से एफआईआई की खरीद का चलन भी जारी रहा और नवंबर में 22 तारीख तक 15,339 करोड़ रुपये की खरीद हुई।"
इसका मतलब है कि 1 अक्टूबर से 23 नवंबर तक एक्सचेंजों के ज़रिए कुल FII की बिक्री 15,5730 करोड़ रुपये रही। विजयकुमार ने कहा कि यह उस तरह की बिक्री है जो उस साल होती है जब FII बिकवाली के मूड में होते हैं।
क्या इसका मतलब यह है कि एफआईआई भारत लौट आएंगे?
विजयकुमार ने कहा कि उपरोक्त कारणों का हवाला देते हुए, भारत में एफआईआई की बिकवाली जल्द ही कम होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि भारत में लार्ज कैप कंपनियों का मूल्यांकन ऊंचे स्तरों से नीचे आ गया है। "एफआईआई आईटी शेयरों की खरीद कर रहे हैं और इससे आईटी शेयरों को लचीलापन मिल रहा है।"
निवेश रणनीतिकार ने कहा कि एफआईआई की बिकवाली के बावजूद बैंकिंग शेयरों में मजबूती बनी हुई है, जिसका मुख्य कारण डीआईआई की खरीदारी है।
एफआईआई भारत से क्यों बाहर जा रहे हैं?
विजयकुमार के अनुसार, भारत में एफआईआई द्वारा भारी बिकवाली के पीछे तीन मुख्य कारण हैं। पहला, 'भारत बेचो, चीन खरीदो' व्यापार।
दूसरा, वित्त वर्ष 2025 की आय को लेकर चिंताएं। तीसरा, 'ट्रम्प ट्रेड'। इनमें से 'भारत बेचो, चीन खरीदो' व्यापार समाप्त हो चुका है, और ट्रम्प ट्रेड भी अपनी गति खोता हुआ प्रतीत हो रहा है, क्योंकि अमेरिका में मूल्यांकन उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
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आशीष कुमार कुशवाहा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। वह मई 2023 से Tim...और देखें
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