नए फॉर्मूले के बाद जानें दिल्ली सहित आपके शहर में कितनी सस्ती होगी CNG,PNG
CNG ,PNG Price Reduction: सरकार का दावा है कि नए फॉर्मूले के लागू होने से पीएनजी और सीएनजी सस्ती हो जाएंगी। इसके अलावा PNG यूज करने वाले घरेलू उपभोक्ता को अधिक स्थिर कीमत पर गैस मिलेगी। मंत्रिमंडल ने एपीएम गैस के लिए 4 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के आधार मूल्य को मंजूरी दी है।
सीएनजी, पीएनजी के घटेंगे दाम
CNG Price Reduction: सीएनजी (CNG) और पीएनजी (PNG)यूजर्स को बड़ी राहत मिलने वाली है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में घरेलू प्राकृतिक गैस कीमत निर्धारण के नए फॉर्मूले को मंजूरी दी है। इस फैसले के बाद सीएनजी और PNG यानी पाइप से आने वाली रसोई गैस की कीमतों पर अधिकतम सीमा तय कर दी गई है। सरकार का दावा है कि नए फॉर्मूले के लागू होने से पीएनजी और सीएनजी सस्ती हो जाएंगी। इसके अलावा PNG यूज करने वाले घरेलू उपभोक्ता को अधिक स्थिर कीमत पर गैस मिलेगी। मंत्रिमंडल ने एपीएम गैस के लिए 4 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के आधार मूल्य को मंजूरी दी है। साथ ही अधिकतम मूल्य 6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रखने पर लगाई मुहर लगी है।
शहर के आधार पर जाने कितनी सस्ती होगी कीमतें
शहर | सीएनजी के दाम (रु/किलोग्राम) | नई कीमत | कितनी घटेगी कीमत | पीएनजी के दाम (रु/किलोग्राम) | नई कीमत (रु) | कितनी घटेगी कीमत (रु) |
दिल्ली | 92 | 87 | 5 | 53.59 | 47.59 | 6 |
मेरठ | 91 | 83 | 8 | 58.5 | 52.0 | 5.5 |
मुंबई | 87 | 79 | 8 | 54 | 49 | 5 |
पुणे | 92 | 87 | 5 | 57 | 52 | 5 |
बंगलुरु | 89.5 | 83.5 | 6 | 58.5 | 52 | 6.5 |
क्रूड से लिंक होंगी कीमतें
नए फॉर्मूले के तहत घरेलू नेचुरल गैस की कीमत अंतरराष्ट्रीय हब गैस की जगह इंपोर्टेड क्रूड के साथ लिंक होगी। यानी घरेलू गैस की कीमत अब भारतीय क्रूड बास्केट के वैश्विक दाम के मंथली एवरेज का 10 फीसदी होगी। इसे हर महीने सूचित किया जाएगा। इससे पीएनजी, सीएनजी, फर्टिलाइजर प्लांट आदि को फायदा होगा। जिससे सीधा फायदा आम घरेलू उपभोक्ता से लेकर किसानों, गाड़ी चलाने वालों को होगा।
अभी तक ऐसे तय होता है दाम
अब तक सरकार हर छह महीने यानी एक अप्रैल और एक अक्टूबर को प्राकृतिक गैस की कीमतें तय करती थीं। इसमें विसंगतियों को देखते हुए नए फॉर्मूले के लिए कमेटी का गठन किया गया है।मोदी सरकार ने अक्टूबर 2022 में किरीट पारिख की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने पुराने फील्ड से निकलने वाली गैस को जनवरी 2026 तक पूरी तरह से डीकंट्रोल करने की सिफारिश की थी। जबकि मुश्किल फील्ड से निकलने वाली गैस को जनवरी 2027 तक डीकंट्रोल करने की सिफारिश की थी।
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