Indian Economy: गठबंधन वाली सरकार के सामने रिफॉर्म से जुड़े कानून बनाना होगी चुनौती, रेटिंग एजेंसी Fitch का अनुमान
Indian Economy: भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सरकार गठन की दिशा में कदम बढ़ाने के बीच फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को कहा कि गठबंधन की राजनीति और कमजोर जनादेश महत्वाकांक्षी सुधारों पर कानून पारित करना चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
गठबंधन वाली सरकार के सामने चुनौतियां
- फिच ने बताई गठबंधन वाली सरकार की चुनौतियां
- रिफॉर्म से जुड़े कानून बनाना होगी चुनौती
- विकास दर पर भी लगाया अनुमान
Indian Economy: भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सरकार गठन की दिशा में कदम बढ़ाने के बीच फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को कहा कि गठबंधन की राजनीति और कमजोर जनादेश महत्वाकांक्षी सुधारों पर कानून पारित करना चुनौतीपूर्ण बना सकता है। फिच ने एक बयान में कहा कि हमारा मानना है कि भूमि और श्रम कानूनों में बड़े सुधार नई सरकार के एजेंडे में बने रहेंगे क्योंकि यह भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आगे बढ़ाने की दिशा में प्रयास हैं, लेकिन ये लंबे समय से विवादास्पद रहे हैं और एनडीए का कमजोर जनादेश इन कानूनों को पारित करना और जटिल कर देगा। यह भारत की मिड टर्म में ग्रोथ संभावनाओं के संभावित लाभ को कम कर सकता है।
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कैसे बनेगी सरकार
भाजपा वर्ष 2014 से लगातार सत्ता में रही है लेकिन वह हालिया चुनाव में 2024 में अपने दम पर स्पष्ट बहुमत पाने में नाकाम रही है। ऐसी स्थिति में भाजपा अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार गठन की कोशिशों में लगी है।
रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि भाजपा सहयोगी दलों की मदद से पर्याप्त समर्थन जुटा लेगी ताकि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बने रहने के साथ सरकार बनाई जा सके।
क्या होंगी चुनौतियां
फिच रेटिंग्स ने कहा कि इस नतीजे से व्यापक नीतिगत निरंतरता (Policy Continuity) को बढ़ावा मिलना चाहिए, क्योंकि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर के कैपिटल एक्सपेंडिचर, कारोबारी माहौल में सुधार और धीरे-धीरे राजकोषीय मजबूती को प्राथमिकता देना जारी रखेगी।
इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी ने कहा कि गठबंधन की राजनीति और कमजोर जनादेश सरकार के सुधारवादी एजेंडे के अधिक महत्वाकांक्षी हिस्सों के बारे में कानून पारित करना अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
कितनी रह सकती है विकास दर
फिच ने कहा कि हमें नहीं लगता कि चुनाव में हुए नुकसान से पॉलिसी एडजस्टमेंट में कोई बड़ा बदलाव आएगा, लेकिन जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट से आने वाले पांच वर्षों में आर्थिक सुधार की प्राथमिकताओं और राजकोषीय योजनाओं के बारे में अधिक स्पष्टता मिलनी चाहिए।
फिच को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7 प्रतिशत पर बनी रहेगी। फिच ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार के पास कम बहुमत होने के बावजूद वित्त वर्ष 2027-28 तक भारत की मध्यम-अवधि वृद्धि हमारे अनुमान 6.2 प्रतिशत के आसपास रहेगी।
PLI स्कीम रहेगी बरकरार
इंफ्रास्ट्रक्चर पर जारी सार्वजनिक कैपेक्स अभियान, डिजिटलीकरण की पहल और महामारी से पहले की तुलना में बैंक और कंपनियों के बहीखाते में सुधार से प्राइवेट इंवेस्टमेंट के लिए एक मजबूत अप्रोच को बढ़ावा मिलेगा।
रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना बरकरार रहेगी, जो इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे टार्गेटेड सेक्टरों में विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद करेगी। हालांकि प्राइवेट इंवेस्टमेंट में अभी तक सार्थक रूप से तेजी नहीं आई है।
राजकोषीय घाटा कम होने की उम्मीद
फिच का मानना है कि देश के कुछ हिस्सों में राज्यों के स्तर पर भूमि और श्रम कानून सुधार आगे बढ़ते रहेंगे। न्यायिक सुधारों की भी कुछ संभावना है जो लागत कम करने और अदालती मामलों के समाधान में तेजी लाने पर ध्यान देंगे।
फिच रेटिंग्स ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 5.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा, और अगले वित्त वर्ष में घाटे को GDP के 4.5 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य भी पहुंच में आ रहा है।
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