कम कमाने वालों के लिए चिंता का विषय, नहीं मिल रहे हैं सस्ते घर, ये है वजह

शहरों में कम कमाने वाले अक्सर सस्ते मकान खरीदना चाहते हैं लेकिन सस्ते घरों की लगातार कम होती जा रही है। इससे कम आय वाले ग्राहक परेशान है। रियल एस्टेट सलाहकार का कहना है कि महंगी जमीन, कम लाभ और कम ब्याज दरों पर पैसा नहीं मिलने की वजह से घरों के दाम बढ़ गए हैं।

सस्ते घरों की संख्या में गिरावट

नई दिल्ली: देश के 7 प्रमुख शहरों में 40 लाख रुपए से कम कीमत वाले किफायती घरों की कुल नए घरों में हिस्सेदारी घटकर पिछले साल 20 प्रतिशत पर आ गई। रियल एस्टेट सलाहकार फर्म एनरॉक ने यह जानकारी दी है। एनरॉक ने किफायती घरों की संख्या में आई इस गिरावट के लिए महंगी जमीन, कम लाभ और कम ब्याज दरों पर वित्त नहीं मिलने जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया है।

2022 में देश के सात शहरों में 20 प्रतिशत ही थे सस्ते घर

आंकड़ों के अनुसार, रियल एस्टेट डेवलपर ने वर्ष 2022 में देश के सात प्रमुख शहरों में कुल 3,57,650 घरों की आपूर्ति की जिनमें से सिर्फ 20 प्रतिशत घर ही किफायती श्रेणी में थे। इसके पहले साल 2018 में कुल 1,95,300 घर तैयार किए गए थे, जिनमें से 40 प्रतिशत घर किफायती श्रेणी के थे। वर्ष 2019 में बने कुल 2,36,560 घरों में से किफायती घरों का हिस्सा 40 प्रतिशत पर स्थिर रहा।

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