Tata Sons IPO: टाटा संस के IPO पर असमंजस, RBI से मांगी अनिवार्य लिस्टिंग से छूट !

Tata Sons IPO: ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा संस ने अपनी यूनिट टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड के शेयर बेचने से प्राप्त 1.1 अरब डॉलर का इस्तेमाल विदेशी और स्थानीय कर्जदाताओं का लोन चुकाने के लिए किया। भारतीय रिजर्व बैंक 2018 में IL&FS के दिवालिया होने के बाद से NBFC से जुड़े नियमों को कड़ा कर रहा है।

टाटा संस के आईपीओ पर असमंजस

मुख्य बातें
  • टाटा संस के IPO पर असमंजस
  • टाटा ग्रुप ने किया आरबीआई से अनुरोध
  • अनिवार्य लिस्टिंग से मांगी छूट

Tata Sons IPO: ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार टाटा ग्रुप ने अपनी होल्डिंग कंपनी और नॉन-बैंकिंग फाइनेंसिंग फर्म, टाटा संस को लिस्ट करने से बचने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से छूट मांगी है। रिपोर्ट के अनुसार एक ग्रुप ने अपनी होल्डिंग कंपनी को लिस्ट करने से बचने के लिए आरबीआई से औपचारिक अनुरोध किया है, जिसमें कहा गया है कि उसने अपना अधिकतर कर्ज चुका दिया है। अक्टूबर 2021 में आरबीआई द्वारा संशोधित किए गए नियमों के अनुसार, बड़ी एनबीएफसी को तीन साल के अंदर लिस्ट होना जरूरी है। इस नियम को पूरा करने के लिए, टाटा संस को सितंबर 2025 को या उससे पहले लिस्ट होना होगा। सितंबर 2022 में, टाटा संस को एनबीएफसी-यूएल कैटेगरी में रखा गया था। ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा संस 2021 के उस नियम से छूट पाने का अवसर तलाश रही थी।

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चुका दिया 1.1 अरब डॉलर का लोन

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा संस ने अपनी यूनिट टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड के शेयर बेचने से प्राप्त 1.1 अरब डॉलर का इस्तेमाल विदेशी और स्थानीय कर्जदाताओं का लोन चुकाने के लिए किया। भारतीय रिजर्व बैंक 2018 में IL&FS के दिवालिया होने के बाद से NBFC से जुड़े नियमों को कड़ा कर रहा है।

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