Cooking Oil Price: आयातित तेल के थोक दाम सस्ता, जानिए अन्य तेल-तिलहन का भाव

Cooking Oil Price, Edible Oil Price: देश के तेल तिलहन बाजारों में अधिकांश आयातित तेल जैसे सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन के थोक दाम सस्ता होने के बावजूद लिवाली कमजोर है। जानिए अन्य तेल-तिलहन का भाव क्या है।

खाने वाले तेल का क्या है भाव

Cooking Oil Price, Edible Oil Price: उठाव घटने के बीच देश के तेल तिलहन बाजारों में शुक्रवार को अधिकांश आयातित तेलों (सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन) तथा ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। दूसरी ओर आवक की कमी के बीच सरसों तेल तिलहन तथा नगण्य माल होने के कारण बिनौला तेल के दाम सुधार के साथ बंद हुए। कल रात शिकागो एक्सचेंज मजबूती के साथ बंद हुआ था। बाजार सूत्रों ने कहा कि आयातित तेल के थोक दाम सस्ता रहने के बावजूद उसकी लिवाली कमजोर है। जब सस्ते आयातित तेल के लिवाल नहीं हैं तो ऐसे में मंहगी लागत और ऊंचे दाम वाले देशी तेल तिलहनों को लिवाल कहां मिलेंगे। दरअसल घाटे के कारोबार के बीच तेल कारोबारियों की वित्तीय हालत निचुड़ गई है और उनके पास खाद्यतेलों का स्टॉक रखने की हिम्मत खत्म हो गई है।

सूत्रों ने कहा कि इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने कपास और सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के मकसद से किसानों को प्रति एकड़ पर 5,000 रुपये का बोनस देने का फैसला किया है। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश की सरकार ने भी राशन की दुकानों के जरिये वितरण करने के मकसद से सोयाबीन रिफाइंड तेल की खरीद की है। इस तेल को प्रदेश सरकार पैकिंग करवाकर राशन दुकानों से बंटवायेगी तो इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और उपभोक्ताओं को भी खाद्यतेल सस्ते में मिलेगा।

उन्होंने कहा कि हर किसी को केवल खाद्यतेलों के थोक दाम से मतलब है लेकिन सरकार को इस बात को ध्यान में रखना होगा कि खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं को खाद्यतेल किस भाव मिल रहा है। अगर खुदरा में दाम ऊंचे बने हुए हैं तो उसे कैसे दुरुस्त करना है इस पर विचार करना होगा। इसके लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का वाजिब तरीके से निर्धारण और एक सरकारी पोर्टल पर एमआरपी का नियमित तौर पर खुलासा करना अनिवार्य करना होगा।

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