Cotton Prices: कपास की कीमतें 2 साल के निचले स्तर पर, पंजाब-राजस्थान-हरियाणा में पिंक बॉलवर्म का प्रकोप

Cotton Price At Two Year Low: पिंक बॉलवर्म की वजह से न केवल उत्पादन घटा है, बल्कि कपास के रेशे की गुणवत्ता भी काफी प्रभावित हुई है। इस वजह से विदेशों से ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। चीन, बांग्लादेश जैसे देश जिन्हें भारत कपास का ज्यादा निर्यात करते था, वे गुणवत्ता को देखते हुए ऑर्डर नहीं दे रहे हैं।

cotton bollworm

कॉटन कीमतें गिरीं

Cotton Price At Two Year Low: एक तरफ प्याज, गेहूं, लहसुन की बढ़ती कीमतों ने आम लोगों को परेशान कर दिया है। वहीं दूसरी तरह कपास को लेकर किसानों के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है। कपास की कीमतें (Cotton Price) 2 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। कीमतों में गिरावट की वजह पिंक बॉलवर्म है, जिसकी वजह से उत्तर भारत के प्रमुख कपास उत्पादक राज्य खासकर राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। और प्रोडक्शन गिर गया है। ज्यादातर कृषि उपज मंडियों में इन दिनों कपास का भाव मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) से नीचे चल रहा है।

कितना है कॉटन का दाम

सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में फिलहाल कपास का भाव 4700-6600 रुपए राजस्थान में औसतन 6200 रुपए प्रति क्विंटल पर चल रहा है। 2022 और 2021 के सीजन में किसानों को कपास का भाव 12,000-13,000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिला था। केंद्र सरकार ने चालू सीजन के लिए लंबे रेशे वाले कपास का एमएसपी 7020 रुपये प्रति क्विंटल और मध्यम रेशे वाले का एमएसपी 6620 रुपये क्विंटल तय किया है।

उत्पादन घटा फिर भी दाम कम क्यों

उत्पादन घटने के बावजूद कीमतें गिरने के पीछे की सबसे बड़ी वजह गुणवत्ता है। पिंक बॉलवर्म की वजह से न केवल उत्पादन घटा है, बल्कि कपास के रेशे की गुणवत्ता भी काफी प्रभावित हुई है। इस वजह से विदेशों से ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। चीन, बांग्लादेश जैसे देश जिन्हें भारत कपास का ज्यादा निर्यात करते था, वे गुणवत्ता को देखते हुए ऑर्डर नहीं दे रहे हैं। अमेरिका, ब्राजील, तुर्की और ग्रीस जैसे प्रमुख कपास उत्पादक देशों में इस बार फसल अच्छी है और उनकी गुणवत्ता भी बेहतर है। जो आयातक पहले भारत से आयात करते थे, वे अब दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। गुणवत्ता की वजह से ही घरेलू खरीदारों (कपड़ा उद्योग) की ओर से भी मांग कम निकल रही है।

महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों के फसलों का इंतजार

इसके अलावा घरेलू खरीदार महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों के कपास की फसल आने का इंतजार कर रहे हैं। उन राज्य में पिंक बॉलवर्म का प्रकोप भी नहीं है, ऐसे में अच्छी गुणवत्ता वाली कपास मिलने की उम्मीद है। इस बीच शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने और पंजाब में कपास की खरीद एमएसपी पर करने का अनुरोध किया है। पंजाब में फिलहाल कपास का भाव 4700-6600 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।कपास उद्योग के संगठन कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने 2023-24 में 295 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल के उत्पादन से करीब 7.5 फीसदी कम है। 2022-23 में करीब 319 लाख गांठ कपास का उत्पादन देश में हुआ था।

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