Credit card EMI: No Cost EMI पर भी चुकाना होता है 18% ब्याज, समझें पूरा गणित

Credit card EMI: क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम ड्यू डेट (Due Date) पर न देने का नतीजा क्या होता है इस बात से आप तो वाकिफ होंगे। दरअसल ऐसे स्थिति में भारी-भरकम ब्याज देना पड़ सकता है।

Credit card EMI: पूरे पेमेंट की जगह जो ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ (No Cost EMI) ऑफर मिलता है, तो लोगों को लगता है कि ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ यानी सिर्फ उतने ही पैसे देने हैं, जितने कि खरीदारी की है। इसके अलावा कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लगेगा। लेकिन ऐसा होता नहीं है। अक्सर ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ की भी लागत होती है। अगर आपको इस सुविधा का लाभ उठाने का फैसला करते समय इस बारे में जानकारी नहीं होगी, तो क्रेडिट कार्ड की ईएमआई का पेमेंट करते समय दिल की धड़कन बढ़ सकती है। क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम ड्यू डेट (Due Date) पर न देने का नतीजा क्या होता है इस बात से आप तो वाकिफ होंगे। दरअसल ऐसे स्थिति में भारी-भरकम ब्याज देना पड़ सकता है। यह ब्याज सालाना 42 फीसदी तक भी हो सकती है। लेकिन क्या आपको पता है कि क्रेडिट कार्ड की ईएमआई में बताए गए ब्याज के अलावा 18% एक्स्ट्रा कॉस्ट भी जुड़ी होती है! आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है...

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क्रेडिट कार्ड के ब्याज पर लगता है GST

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क्रेडिट कार्ड के सामान्य ईएमआई पर लगने वाले जीएसटी की बात करें तो क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम पर लगने वाले ब्याज पर आपको गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) देना पड़ सकता है। इतना ही नहीं वित्तीय संस्थानों की ज्यादातर सर्विसेज पर जीएसटी होता है। क्रेडिट कार्ड पर लगने वाला इंटरेस्ट भी इसी कैटेगरी में होता है, जिस पर 18 फीसदी जीएसटी देनी होती है। यह जीएसटी क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन के इंटरेस्ट पर लगता है। अगर ईएमआई पर 20 फीसदी ब्याज देते होंगे, तो उस पर 18 फीसदी जीएसटी यदि जोड़ दिया जाए तो कुल ब्याज 23.6 फीसदी होगा।

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