अमेरिका से यूरोप पहुंचा बैंकिंग संकट,जानें क्रेडिट सुइस का भारत पर कितना खतरा

Credit Suisse Bank Crisis: पिछले महीने क्रेडिट सुइस को 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से सबसे बड़े घाटे का सामना करना पड़ा था। बैंक को 2022 में 7.3 अरब स्विस फ्रैंक का घाटा हुआ था। इसके बाद से जमाकर्ताओं ने बैंक से पैसे निकालने शुरू कर दिए।

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यूरोप में भी गहराया बैंकिंग संकट

Credit Suisse Bank Crisis: अमेरिका के दो बड़े बैंकों के डूबने के बाद, यूरोप के एक बड़े बैंक पर संकट गहरा गया है। स्विटजरलैंड के दूसरे सबड़े बैंक क्रेडिट सुइस के शेयर बुधवार को ट्रेडिंग के दौरान 25 फीसदी से अधिक गिरकर रिकॉर्ड लो लेवल पर पहुंच गए। 166 साल पुराने क्रेडिट सुइस बैंक के शेयर में आई गिरावट का असर दुनिया भर के बाजार पर दिखा। भारतीय शेयर बाजर भी कल 300 से ज्यादा अंक लुढ़कर बंद हुआ। क्रेडिट सुइस बैंक का हाल इतना बुरा था कि बुधवार को कई बार ट्रेडिंग रोकी गई। और अंत में उसके लिए लाइलफाइन बनकर स्विस नेशनल बैंक सामने आया, जिसने 54 अरब डॉलर का कर्ज देने का ऐलान किया। जहां तक भारत की बात है तो बैंक की एक शाखा मुंबई में है और उसके पास 20,700 करोड़ रुपये के एसेट हैं।

कैसे गहरा गया संकट

असल में इस संकट की शुरूआत क्रेडिट सुइस बैंक की उस वार्षिक रिपोर्ट से हुई, जिसमें उसने कहा था कि वित्तीय रिपोर्टिंग पर अपने इंटरनल ऑडिट में 'मटेरियल वीकनेसिस' की पहचान की है। इसके पहले पिछले महीने, क्रेडिट सुइस को 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से सबसे बड़े घाटे का सामना करना पड़ा था। बैंक को 2022 में 7.3 अरब स्विस फ्रैंक का घाटा हुआ था। इसके बाद से जमाकर्ताओं ने बैंक से पैसे निकालने शुरू कर दिए।

इसके बाद बुधावर को बैंक के सबसे बड़े निवेशक के ऐलान ने भूचाल ला दिया। सऊदी नेशनल बैंक (Saudi National Bank) के अध्यक्ष, अम्मार अल खुदैरी ने कहा कि अगर अतिरिक्त लिक्विडिटी की और जरूरत पड़ती है तो उनका बैंक क्रेडिट सुइस में और निवेश नहीं कर पाएगा। सऊदी नेशनल बैंक वर्तमान में क्रेडिट सुइस का सबसे बड़ा निवेशक है, जिसके 9.9 फीसदी शेयर हैं। खुदैरी के इस ऐलान के बाद से क्रेडिट सुईस के शेयर में गिरावट का दौर शुरू हो गया।

हालांकि क्रेडिट सुइस ने बैंक को लेकर बनी आशंका को खारिज कर दिया है। और उसका कहना है कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी हैं और लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।

भारत पर कितना खतरा

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार क्रेडिट सुइस भारत में 12 वां सबसे बड़ा विदेशी बैंक है। और उसके करीब 20,700 करोड़ रुपये के एसेट हैं। जो कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम के कुल एसेट का केवल 0.1 फीसदी हिस्सा है। ऐसे में अगर सिलिकान वैली बैंक की तरह क्रेडिट सुइस डूब जाता है, तो भी बड़ा असर नहीं दिखाई देता है। हालांकि बैंक की डेरिवेटिव मार्केट में ठीक उपस्थिति है। जिसके 96 फीसदी के कर्ज की अवधि 2 साल की है। और भारत में उसकी केवल एक शाखा मुंबई में है।

डूबने की है भविष्यवाणी

क्रेडिट सुइस को भले ही स्विस नेशनल बैंक ने 54 अरब डॉलर का कर्ज देने का ऐलान कर बड़ी राहत दी है। लेकिन उसके डूबने की भविष्यवाणी कर दी गई है। और यह भविष्यवाणी उस शख्स ने की है जिसने 2008 में लेहमन ब्रदर्स बैंक के डूबने पर पहले ही सतर्क कर दिया था। वॉल स्ट्रीट एनालिस्ट्स रॉबर्ट कियोस्की ने क्रेडिट सुइस के डूबने की भविष्यवाणी कर दी है। उन्होंने फॉक्स न्यूज से कहा है कि समस्या बॉन्ड बाजार की है। और जो मैंने लेहमन ब्रदर्स के लिए बात कही थी, उसे देखते हुए अब मेरा मानना है कि अगला बैंक क्रेडिट सुइस होगा। ऐसे में अगर ये संकट गहराता है तो इसका आंच दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी पहुंच सकती है।

लेहमन संकट का दिखा डर

रॉबर्ट कियोस्की लेहमन ब्रदर्स बैंक की बात कर रहे हैं, वह संकट इतना बड़ा था कि उससे पूरी दुनिया हिल गई थी। बैंक डूबने के बाद पूरी दुनिया को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा। लेहमन ब्रदर्स ने ज्यादा कमाई के चक्कर में अपने वित्तीय लेवरेज अनुपात 44 के मुकाबले 1 पर पहुंचा दिया था। यानी बैंक ने अपने हर एक रुपये पर 44 रुपया उधार ले रखा था। और अमेरिकी रियल एस्टेट बाजार का बुलबुला फूटते ही लेहमन ब्रदर्स बैंक डूब गया। और वहां से जो संकट शुरू हुआ उसनी पूरी दुनिया को चपेट में ले लिया।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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