बाढ़ प्रभावित इलाकों में करें इन सब्जियों की खेती, होगी मोटी कमाई

Vegetable Cultivation In Diara: बाढ़ प्रभावित इलाका सिर्फ अभिशाप ही नहीं है बल्कि वरदान भी है। किसान यहां तरबूज, खरबूज, लौकी, ककड़ी, कद्दू, करेला, परवल, नेनुआ यानी तोरई की खेती कम लागत कर मोदी कमाई कर सकते हैं।

दियारा में करें सब्जियों की खेती

Vegetable Cultivation In Diara: बिहार समेत कुछ राज्यों में बाढ़ नियंत्रण का मुद्दा हर साल गरमाया रहता है। इस मुद्दे को लेकर जमकर राजनीति भी होती है लेकिन बाढ़ प्रभावित इलाके की खासियतें भी हैं। जिससे किसान मालामाल भी होते रहे हैं। नदी का दोआब यानी दियारा इलाका हर साल पानी में डूब जाता है। इस पर लगी फसलें बरबाद हो जाती हैं। यहां रहने वाले लोगों के घरों में पानी घुस जाता है। जनजीवन से लेकर पशु पक्षियों तक बुरी तरह प्रभावित होते हैं। लेकिन जैसे ही बाढ़ का समय खत्म होता है। इस इलाके की जमीन में सोना उगलने के लिए तैयार हो जाती है। अक्टूबर-नवंबर से लेकर मई-जून तक इसके इलाके में जो भी फसलें लगाई जाती हैं। उसकी पैदावार जबरदस्त होती है। ऐसे इलाकों में किसान मौसमी सब्‍जियों और फलों की बड़े पैमानी पर खेती करते हैं, जिससे मोटी कमाई होती है।

किसानों के लिए फायदेमंद दियारा

दियारा में बाढ़ की वजह से हर साल नई मिट्टी आती है। जो काफी उपजाऊ होती है। लेकिन इस मिट्टी में बालू यानी रेत की मात्रा अधिक होती है। मॉनसून बीतने के बाद नदी का पानी कम हो जाता है। आस-पास का इलाका खेती के माकूल हो जाता है। जल्दी में कमाई के लिए किसान सब्जियों की खेती करते हैं। इन सब्जियों की बुआई से आखिरी कटाई अक्तूबर से जून तक कर ली जाती है। फिर मॉनसून आने के बाद नदी का पानी बढ़ने से यह इलाका डूब जाता है।

दियारा में इन सब्जियों और फलों की खेती

स्थानीय लोगों ने दियारा को कई नाम दे रखा है। इसे खादर, कछार, दोआब, नदियारी, दरियारी, कोचर, नाद भी कहते हैं। यहां मौसमी सब्जियों को नदी किनारे खोदे गए गड्ढों में लगाया जाता है और अगले मॉनसून की शुरुआत से पहले फसल को काट लिया जाता है। यहां तरबूज, खरबूज, लौकी, ककड़ी, कद्दू, करेला, परवल, नेनुआ यानी तोरई, आदि फसलों की खेती की जाती है।

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