विवादों में 138 साल पुरानी डाबर, दिया शहद, च्यवनप्राश से लेकर वाटिका, फिर क्यों उठे सवाल
Dabur Success Story: कोलकाता में डॉ. एसके बर्मन ने हैजा, मलेरिया और प्लाग जैसी बीमारियों के लिए प्राकृतिक औषधियां बनाना शुरू किया। लोग उन्हें 'डाक्टर बर्मन' कहते थे। उन्होंने डाक्टर का डा और बर्मन का बर लेकर डाबर कंपनी शुरू कर दी।
डाबर की शुरुआत 1884 में हुई
- 138 साल पुरानी कंपनी है डाबर
- एसके बर्मन ने की थी शुरुआत
- अब चेयरमैन और डायरेक्टर पर हुई एफआईआर
Dabur Success Story: डाबर (Dabur) भारत के उन ब्रांड्स में से है, जिसका कोई न कोई प्रोडक्ट अधिकतर ने लोगों ने यूज किया होगा। भारत में डबर एक घरेलू नाम है, जिसके तेल से लेकर शहद तक मार्केट में मौजूद हैं। डाबर का च्यवनप्राश और वाटिका हेयर ऑयल इसके सबसे फेमस प्रोडक्ट हैं।
डाबर 138 साल पुरानी कंपनी है, जिसे 1884 में कोलकाता में एक आयुर्वेदिक दवा कंपनी के रूप में एसके बर्मन (SK Burman) ने शुरू किया था। डाबर का कंट्रोल आज भी बर्मन फैमिली के पास है। परिवार की 5वीं पीढ़ी के मोहित बर्मन इसके चेयरमैन हैं। मगर इस समय डाबर विवादों में घिर गई है।
कैसे पड़ा डाबर नाम
कोलकाता में डॉ. एसके बर्मन ने हैजा, मलेरिया और प्लाग जैसी बीमारियों के लिए प्राकृतिक औषधियां बनाना शुरू किया। लोग उन्हें 'डाक्टर बर्मन' कहते थे। उन्होंने डाक्टर का डा और बर्मन का बर लेकर डाबर कंपनी शुरू कर दी।
क्या है कंपनी का विवाद
आज इसकी मार्केट कैपिटल करीब 95 हजार करोड़ रु है। हाल ही में महादेव सट्टेबाजी ऐप केस में मुंबई पुलिस की एक एफआईआर में डाबर के चेयरमैन मोहित बर्मन और डायरेक्टर गौरव बर्मन का नाम आया है। हालाँकि, बर्मन परिवार ने इस सट्टेबाजी मामले में किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया है।
रेलिगेयर से शुरू हुआ विवाद
बर्मन परिवार ने इस साल अगस्त तक कई यूनिट्स के जरिए रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) में 21.5% हिस्सेदारी खरीदी। सितंबर में, इसने 5.27% और हिस्सेदारी खरीदी। इससे कंपनी के लिए पब्लिक से ओपन ऑफर के जरिए अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी खरीदना अनिवार्य हो गया।
उसी महीने, बर्मन फैमिली ने 26% हिस्सेदारी के लिए एक ओपन ऑफर में 2122 करोड़ रु का निवेश करके रेलिगेयर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने और कंपनी का कंट्रोल लेने का इरादा किया। मगर लगभग एक महीने बाद, रेलिगेयर के स्वतंत्र निदेशकों ने आरबीआई, सेबी और IRDAI जैसे नियामकों को पत्र लिखकर बर्मन परिवार के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य उल्लंघनों के आरोप लगाए।
बर्मन परिवार ने आरोपों पर दिया जवाब
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार बर्मन परिवार ने दावा किया कि रेलिगेयर के डायरेक्टर्स ने जो आरोप लगाए हैं, उनके पीछे का कारण बर्मन परिवार द्वारा एक अनआइडेंटिफाइड एग्जेक्यूटिव द्वारा कुछ ट्रेड्स का खुलासा करना है।
कुछ दिनों बाद ही डाबर के चेयरमैन मोहित बर्मन और डायरेक्टर गौरव बर्मन का नाम महादेव ऐप सट्टेबाजी मामले में एक एफआईआर आ गया। बर्मन परिवार ने कहा कि एफआईआर का संबंध रेलिगेयर डील से है। यानी डाबर रेलिगेयर को न खरीदे।
डाबर की ग्रोथ स्टोरी
इस दौरान सालों साल डाबर नए-नए सेक्टरों में एंट्री करती गई। कंपनी आयुर्वेदिक दवाओं के अलावा एफएमसीजी, हेल्थकेयर, डेयरी प्रोडक्ट, फार्मा और पर्सनल स्किन केयर आदि सेक्टरों में कारोबार करती है।
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