Mutual Fund:म्युचुअल फंड पर बचाना चाहते हैं टैक्स, 31 मार्च तक है मौका

Debt Mutual Fund: डेट म्युचुअल फंड के नए नियम एक अप्रैल 2023 से लागू होंगे। नए नियम में डेट म्युचुल फंड से होने वाली कमाई ज्यादा टैक्स के दायरे में आ गई है। यह नियम उन डेट म्युचुअल फंड पर लागू होगा जिन्होंने अपने निवेश की हिस्सेदारी इक्विटी में 35 फीसदी से कम रखी है।

Mutual Fund New Rule

एक अप्रैल से म्युचुअल फंड के नए नियम होंगे लागू

New Rule of Debt Mutual Fund:एक अप्रैल से डेट म्युचुअल फंड से होने वाली कमाई पर ज्यादा टैक्स लगेगा। ऐसे में अगर आप टैक्स बचाना चाहते हैं तो 31 मार्च तक अच्छा मौका है। क्योंकि उसके बाद से डेट म्युचुअल फंच में निवेश करने वाले निवेशकों को ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। असल में केंद्र सरकार ने फाइनेंस बिल में संशोधन के जरिए डेट म्युचुअल फंड से 3 साल बाद होने वाली कमाई को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के तहत ला दिया है। ऐसे में अब डेट म्युचुअल फंड के लाखों निवेशकों को रिटर्न से होने वाली कमाई को टैक्सेबल इनकम के साथ जोड़ कर टैक्स देना होगा। और उसे इंडेक्सेशन (महंगाई के असर ) का लाभ नहीं मिलेगा।

31 मार्च तक पुराने नियम होंगे लागू

फाइनेंस बिल के नए नियम एक अप्रैल से लागू होंगे। ऐसे में अगर कोई निवेशक टैक्स बचाना चाहता है, तो वह 31 मार्च तक डेट म्युचुअल फंड में निवेश कर पुराने नियम का फायदा उठा सकता है।

मौजूदा नियम में डेट म्युचुअल फंड पर दो तरह से टैक्स कैलकुलेशन होता है। पहला तो यह है कि अगर किसी निवेशक ने डेट म्युचुअल फंड में निवेश से कमाई की है और उसने तीन साल से पहले रिटर्न के साथ पैसा निकाल लिया तो उसके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। यानी रिटर्न को कमाई माना जाता है उस पर इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स लगता है।

वहीं दूसरे तरीके में अगर कोई निवेशक 3 साल बाद अपने पैसे निकालता है, तो उसे 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ता है। साथ ही उसे इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है। इंडेक्सेशन में निवेश पर महंगाई के असर को शामिल कर रिटर्न का कैलकुलेशन होता है। जिसकी वजह से निवेशक पर कम टैक्स देनदारी बनती है।

क्या है नया नियम

नए नियम के तहत एक अप्रैल से डेट म्युचुल फंड से होने वाली कमाई ज्यादा टैक्स के दायरे में आ गई है। यह नियम उन डेट म्युचुअल फंड पर लागू होगा जिन्होंने अपने निवेश की हिस्सेदारी इक्विटी में 35 फीसदी से कम रखी है। और 3 साल बाद मिलने वाला रिटर्न शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स माना जाएगा। और डेट म्युचुअल फंड से होने वाली कमाई टैक्स के दायरे में आ जाएगी। साथ हीइंडेक्सेशन के जरिए महंगाई के असर से बचने वाले टैक्स का भी फायदा नहीं मिलेगा।

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