डेट म्युचुअल फंड बनाम बैंक एफडी,जानें अप्रैल से कहां ज्यादा मिलेगा रिटर्न

Debt Mutual Fund Vs Bank FD: डेट म्युचुअल फंड और बैंक फिक्स डिपॉजिट में सबसे बड़ा अंतर निवेश के तरीकों का है । डेट म्युचुअल फंड के जरिए निवेशकों का पैसा जहां इक्विटी में लगता है, वहीं बैंक एफडी में पैसा आरबीआई द्वारा आधिसूचित बैंक में निवेश होता है।

bank fd vs debt Mutual Fund

बैंक एफडी और डेट म्युचुअल फंड में कौन बेहतर

Debt Mutual Fund Vs Bank FD: एक अप्रैल से डेट म्युचुअल फंड में निवेश के नियम बदल रहे है। अब तीन साल से अधिक समय के निवेश पर ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। नए नियम उन डेट म्युचुअल फंड पर लागू होंगे, जिन्होंने इक्विटी मार्केट में 35 फीसदी से कम निवेश कर रखा है। इसके तहत निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इस कारण निवेशकों को पहले से ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। सरकार इस कदम के जरिए बैंक एफडी और डेट म्युचुअल फंड को समान स्तर पर लाना चाहती है। क्योंकि अभी इंडेक्सेशन का फायदा मिलने से बैंक एफडी की तुलना में डेट म्युचुअल फंड रिटर्न के मामले में आकर्षक बने हुए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नए नियम के बाद बैंक एफडी और डेट म्युचुअल फंड के रिटर्न एक जैसे हो जाएंगे।
अभी डेट म्युचुअल फंड और बैंक एफडी में क्या अंतर
डेट म्युचुअल फंड और फिक्स डिपॉजिट में सबसे बड़ा अंतर निवेश के तरीकों का है । डेट म्युचुअल फंड के जरिए निवेशकों का पैसा जहां इक्विटी में लगता है, वहीं बैंक एफडी में पैसा आरबीआई द्वारा आधिसूचित बैंक में निवेश होता है।
डेट म्युचुअल फंड में म्युचुअल फंड हाउस निवेशकों का पैसा फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज जैसे कि सरकारी प्रतिभूतियों, करपोरेट बॉन्ड, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजट और आदि में निवेश करते है। वहीं बैंक की एफडी में निवेशकों को इक्विटी मार्केट के उतार-चढ़ाव का रिस्क नहीं होता है।
सूचकांकबैंक फिक्सड डिपॉजिटडेट म्युचुअल फंड
रिटर्नरिटर्न फिक्स (बैंक अगर एफडी करते समय 7 फीसदी तय करता है तो उतना ब्याज मिलना तय है)इक्विटी मार्केट के आधार पर उतार-चढ़ाव
रिस्कजोखिम नहींजोखिम बना रहता है
विदड्रॉलसमय से पहले पैसा निकालने पर बैंक पेनॉल्टी लेते हैं। (हालांकि बैंक इसमें छूट भी दे सकता है)बिना पेनॉल्टी के कभी भी पैसा निकाला जा सकता है, हालांकि कुछ फंड में तय अवधि के कारण निवेशक को एक्जिट लोड चार्ज देना पड़ता है।
टैक्सएक वित्त वर्ष में ब्याज 40 हजार से ज्यादा तो टैक्स देनदारी , वरिष्ठ नागरिकों को 50 हजार पर टैक्स देना पड़ता हैअब पैसा निकालने पर निवेशक के टैक्सेबल इनकम के आधार पर टैक्स देनदारी बनेगी।
निवेस का तरीकाSIP भी कर सकते हैं।एकमुश्त रकम
डिविडेंडनहींहां
इंडेक्सेशन का फायदानहीं अब नहीं
डेट म्युचुअल फंड क्यों बने आकर्षक
डेट म्युचुअल फंड के आकर्षक होने की सबसे बड़ी वजह इंडेक्सेशन का फायदा था। क्योंकि इसके जरिए निवेशकों पर महंगाई से होने वाले निगेटिव इम्पैक्ट का असर नहीं होता था।
महंगाईबैंक एफडी पर ब्याजबैंक का रियल रिटर्नडेट म्युचुअल फंड
6 फीसदी8 फीसदी 2 फीसदीइंडेक्सेशन की वजह से बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा रिटर्न
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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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