Deloitte Under Investigation: ऑडिटिंग फर्म डेलॉय पर एक बार फिर उठे सवाल, नाइजीरियाई कंपनी टिंगो के 47 करोड़ डॉलर फ्रॉड का मामला
Deloitte Under Investigation: ऑडिटिंग फर्म डेलॉय पर एक बार फिर रेगुलेटर्स की नजर में है। इस बार मामला नाइजीरियाई फर्म टिंगो को लेकर है, जिस पर शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने फ्रॉड का आरोप लगाया है।
डेलॉय फिर विवादो में
- डेलॉय पर एक बार फिर रेगुलेटर्स की नजर में
- नाइजीरियाई फर्म टिंगो से जुड़ा है मामला
- पहले भी कई बार रही विवादों में
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डेलॉय की भारतीय सहयोगी भी विवादों में
बता दें कि डेलॉय की भारतीय सहयोगी कंपनी भी पिछले पांच वर्षों से विवादों में रही है। कर्ज में डूबे इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसर आईएलएंडएफएस ग्रुप के डूबने के बाद इसकी ऑडिटिंग प्रैक्टिस पर सवाल उठे। इसी के चलते गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office) या एसएफआईओ और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय समेत कई भारतीय रेगुलेटर्स और एजेंसियों ने इसकी जांच की।
कंपनी के ऑडिटर को नहीं दिखीं गड़बड़ियां
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने भी डेलॉय की ऑडिट क्वालिटी की जांच की है। एनएफआरए को जांच में इसकी ऑडिट प्रॉसेस में कई खामियां मिलीं। हिंडनबर्ग के मुताबिक टिंगो के फाइनेंशियल आंकड़ों में भारी गड़बड़ एक दम साफ है, जिन्हें कम समझ रखने वाला व्यक्ति भी आसानी से देख सकता है। मगर ये सारी गड़बड़ियां कंपनी के ऑडिटर को नहीं दिखीं।
पहले भी फंसी है डेलॉय
बीते कुछ समय में यह पहला मामला नहीं है जब डेलॉय रेगुलेटरी मामलों में फंसी है। इससे पहले सितंबर 2023 में पब्लिक कंपनी अकाउंटिंग ओवरसाइट बोर्ड (पीसीएओबी) ने डेलॉय एंड टॉचे एस.ए.एस. को अपने क्वालिटी कंट्रोल स्टैंडर्ड के उल्लंघनों के लिए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इतना ही नहीं डेलॉय ग्लोबल नेटवर्क की कोलंबियाई सहयोगी पर 900,000 डॉलर (करीब 7.5 करोड़ रु) का जुर्माना भी लगाया गया था। पीसीएओबी ने अपनी जांच में पाया था कि डेलॉय एंड टॉचे की कोलंबियाई सहयोगी का क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम ये आश्वासन नहीं दे पाया कि ऑडिट वर्क पीसीएओबी स्टैंडर्ड के अनुसार होगा और इसके दस्तावेज तैयार किए जाएंगे।
चीन में भी लगा भारी जुर्माना
वहीं डेलॉय को चीन में भी जांच और जुर्माने का सामना करना पड़ा था। चाइनीज रेगुलेटर्स ने डेलॉइट के बीजिंग ऑफिस पर 3.08 करोड़ डॉलर (256 करोड़ रु) का जुर्माना लगाया। ये जुर्माना चीन की सरकारी एसेट मैनेजमेंट कंपनी का सही ऑडिट न करने के कारण लगाया गया, जिसके पूर्व प्रमुख को भ्रष्टाचार के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। चाइनीज रेगुलेटर्स के अनुसार डेलॉय ने एसेट मैनेजमेंट कंपनी की मैनेजमेंट एक्टिविटीज पर ठीक से ध्यान नहीं दिया और ऑडिट को जरूरी नियमों के मुताबिक पूरा नहीं किया।
मलेशिया में भी विवादों में घिरी
इसी तरह मलेशियाई ऑडिट फर्म डेलॉय पीएलटी ने 2011 से 2014 तक घोटाले में लिप्त पाए गए स्टेट फंड 1एमडीबी और इसकी यूनिट एसआरसी इंटरनेशनल के खातों की ऑडिटिंग से जुड़े कुछ मामलों के लिए मलेशियाई सरकार को 8 करोड़ डॉलर (665 करोड़ रु) हर्जाने का भुगतान किया था। उस समय मलेशियाई सरकार और वहां के रेगुलेटर्स ने 1MDB की फाइनेंशियल डिटेल की ऑडिटिंग में डेलॉय के रोल की जांच की थी।
क्या था भारत में आईएलएंडएफएस का मामला
आईएलएंडएफएस के मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने बहस के दौरान, सरकार ने डेलॉय पर आरोप लगाया था कि इसने आईएलएंडएफएस ग्रुप के साथ मिलीभगत कर ग्रुप की कंपनियों की जानकारी छिपाई और खाता बुक में हेराफेरी की। डेलॉय पर आरोप लगा था कि इसने जानबूझकर आईएलएंडएफएस के मामले की सही जानकारी पेश नहीं की। इसने आईएलएंडएफएस ग्रुप की कुछ कंपनियों के निगेटिव नेट आउंड फंड और निगेटिव कैपिटल टू रिस्क एसेट रेशियो की सही जानकारी नहीं दी थी।
सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका
डेलॉय और इसके कुछ साझेदारों ने एसएफआईओ की जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, मगर मई 2023 में एक फैसले के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया। इससे मुंबई ट्रायल कोर्ट के लिए एसएफआईओ की शिकायत पर कार्यवाही जारी रखने का रास्ता साफ हो गया था।इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और एसएफआईओ की रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि डेलॉय और इसकी टीम ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई।
सरकार ने और क्या लगाया आरोप
सरकार ने डेलॉय पर और भी आरोप लगाए। इनमें मूल राशि और उसके ब्याज के भुगतान के लिए डिफॉल्ट उधारकर्ताओं की फंडिंग के प्रभावित होने की जानकारी होने के बावजूद, डेलॉय ने वित्त वर्ष 2013-14 से 2017-18 तक ऑडिटर्स रिपोर्ट में इसकी जानकारी नहीं दी। यानी इसने कंपनी अधिनियम की धारा 143(1)(ए) का अनुपालन नहीं किया। रेगुलेटर्स ने यह भी आरोप लगाया कि आईएलएंडएफएस का ऑडिट करने वाली डेलॉइट की फर्म ने सिर्फ बुक एंट्री के जरिए लोन को ट्रांसफर करके एनपीए की प्रोविजनिंग और लोन को एनपीए घोषित करने को टालने की कोशिश की। इसके नतीजे में पुराने लोन को क्लोज दिखा दिया गया और नए लोन की प्रोविजनिंग नहीं हुई।
एनएफआरए को भी मिली गड़बड़
एनएफआरए की दो ऑडिट क्वालिटी रिपोर्टों में भी कुछ आईएलएंडएफएस कंपनियों के ऑडिट में डेलॉय की तरफ से की गई गड़बड़ियां सामने आईं। एनएफआरए पर कंपनियों कौन सी अकाउंटिंग और ऑडिटिंग पॉलिसियों और स्टैंडर्ड को फॉलो करती हैं, उसकी सलाह देने की जिम्मेदारी है। यह अकाउंटिंग और ऑडिटिंग स्टैंडर्ड्स के अनुपालन की निगरानी और इन नियमों को फॉलो भी करवाती है। साथ ही ये इन नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने से जुड़ी फर्मों की सर्विस की क्वालिटी की भी निगरानी करती है।
क्या निकला नतीजा
ऑडिट मॉनिटरिंग फर्म ने नतीजा यह निकाला कि डेलॉय की ऑडिट फर्मों ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 144 के प्रावधानों का काफी उल्लंघन किया है। साथ ही यह आचार संहिता का भी उल्लंघन कर रही थी और ऑडिट रिपोर्ट जारी करने के लिए इसने सही प्रॉसेस फॉलो नहीं की।एनएफआरए के मुताबिक गड़बड़ियों और उल्लंघनों के जरिए डेलॉइट ने एक ऑडिट फर्म के लिए जरूरी स्वतंत्रता के साथ जो प्रॉसेस और नियम फॉलो किए जाने चाहिए, उनसे समझौता किया है।
डेलॉय ने दी है चुनौती
एनएफआरए ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा कि स्वतंत्रता के साथ ऑडिट पूरा करने की सही प्रॉसेस को नहीं अपनाया गया। इन गड़बड़ियों के नतीजे में एनएफआरए ने डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स एलएलपी के पूर्व प्रमुख उदयन सेन को सात साल के लिए ऑडिटिंग से रोक दिया और इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएल एंड एफएस) की ऑडिटिंग में खामियों के लिए इस पर जुर्माना भी लगाया। रेगुलेटर ने सेन को प्रोफेशनल गड़बड़ियों और फाइनेंशियल कंपनी के ऑडिटिंग खातों में स्वतंत्रता और क्वालिटी नहीं बनाए रखने का भी दोषी पाया। हालांकि रेगुलेटर्स और एनएफआरए को जो गड़बड़ियां मिली हैं, उन्हें डेलॉय और इसके भागीदारों ने अलग-अलग जगहों पर चुनौती दी है।
(सोर्स- IANS)
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