क्या है डिजिटल नजरबंदी; दिल्ली के घरों में बढ़े मामले, साइबर पुलिस ने किया आगाह
टेक्नोलॉजी के एडवांस होने के साथ-साथ इसी टेक्नोलॉजी का शिकार बन जाने की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। अब साइबर अटैक करने वाले लोग डिजिटल नजरबंदी का नया तरीका अपना रहे हैं। देश की राजधानी में मामले इतनी ज्यादा तेजी के साथ बढ़ रहे हैं कि दिल्ली पुलिस के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। हाल ही में साइबर पुलिस ने डिजिटल नजरबंदी के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता भी प्रकट की है। आइये जानते हैं क्या है डिजिटल नजरबंदी?
क्या है डिजिटल नजर बंदी जिसके खिलाफ पुलिस कर रही है आगाह
क्या है डिजिटल नजरबंदी?दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डिजिटल नजरबंदी ऐसी ठगी को कहा जाता है जिसमें ठग आपको विश्वास दिलाते हैं कि वह पुलिस या फिर किसी अन्य कानूनी संस्था से संबंध रखते हैं। ठग आपको बताता है कि आपके सिमकार्ड, बैंक कार्ड, आधार कार्ड या फिर बैंक संबंधित किसी अन्य डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल गलत तरीके से किया गया है। इसके बाद ये ठग आपको घर से बहार भी नहीं निकलने देते और मजबूर करते हैं कि आप इन्हें पैसे का भुगतान करें।
बहुत स्मार्ट होते हैं ये ठगदिल्ली पुलिस की ‘इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटजिक ऑपरेशंस’ यूनिट में काम करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि डिजिटल नजरबंदी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और यह चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। अधिकारी ने यह भी बताया कि उनकी इकाई केवल ऐसे मामलों की जांच करती है जहां ठगी गई रकम 50 लाख से ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि ये साइबर ठग टेक्नोलॉजी के मामले में काफी स्मार्ट होते हैं और लोगों को अपनी बातों में फंसकर उनसे पैसे वसूलना जानते हैं।
बढ़ रहे मामलेराष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार राजधानी दिल्ली में साइबर क्राइम के मामले 2022 में करीब दो गुना बढ़ चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में दिल्ली में किये गए साइबर क्राइम की संख्या 345 थी और 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 685 पर पहुंच गया है। अब देखना होगा कि बढ़ते हुए साइबर अटैक के मामलों को रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है?
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पवन कुमार मिश्रा Timesnowhindi.com के साथ फरवरी 2024 से बतौर सीनियर कॉपी एडिटर के रूप में जुड़े हैं। ...और देखें
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