किन-किन चीजों से घटते-बढ़ते हैं क्रिप्टोकरेंसी के रेट, निवेश से पहले जरूर जान लीजिए
अकसर लोग नहीं जानते कि क्रिप्टो का रेट कैसे घटता-बढ़ता है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत को कई फैक्टर प्रभावित करते हैं। कई ऐसे फैक्टर हैं, जिनसे क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में बदलाव आता है।

किन कारणों से घटते-बढ़ते हैं क्रिप्टोकरेंसी के रेट
- कई फैक्टर्स से होती है क्रिप्टोकरेंसी की कीमत प्रभावित
- सरकारी नियम क्रिप्टो के रेट पर असर डालते हैं
- प्रोडक्शन कॉस्ट का भी होता है क्रिप्टो की कीमत पर असर
How Cryptocurrency Rates Changes : अब लोग क्रिप्टोकरेंसी से काफी वाकिफ हो गये हैं। पर एक बड़ा कंफ्यूजन ये बाकी है कि भला क्रिप्टो के रेट घटते-बढ़ते कैसे हैं? यानी वे कौन सी चीजें हैं, जिनसे किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत प्रभावित हो सकती है। बता दें कि ऐसे 6 मेन फैक्टर हैं, जो किसी क्रिप्टोकरेंसी के रेट को प्रभावित कर सकते हैं। क्या हैं ये फैक्टर, आगे जानिए।
नोड की संख्या
नोड काउंट एक नेटवर्क में एक्टिव वॉलेट की संख्या होती है। इससे पता चलता है कि कोई खास कम्युनिटी कितनी मजबूत है। हाई नोड यानी मजबूत कम्युनिटी। वहीं इनकी संख्या घटे तो क्रिप्टोकरेंसी कमजोर होगी।
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क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज
ग्रो की रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई टोकन कई एक्सचेंजों पर उपलब्ध है, तो इसका मतलब है कि उसमें अधिक लोग ट्रेड कर रहे हैं। ऐसे में जिन निवेशकों को अपनी क्रिप्टो को स्वैप करने के लिए दो या अधिक एक्सचेंजों की जरूरत होगी, उन्हें इसके लिए शुल्क देना पड़ेगा। इससे निवेश लागत बढ़ेगी और क्रिप्टो की वैल्यू में इजाफा होगा।
प्रोडक्शन कॉस्ट
यह फैक्टर भी किसी क्रिप्टो प्राइस को प्रभावित करता है। दरअसल नए टोकन बनाने और डेली नेटवर्क लेनदेन को प्रमाणित करने के लिए माइनर खास सर्वर या हार्डवेयर का उपयोग करते हैं। उनकी इस कड़ी मेहनत के लिए उन्हें नेटवर्क शुल्क और वर्चुअल टोकन जैसे इनाम मिलते हैं। इसलिए, अगर माइनिंग की लागत बढ़ती है, तो क्रिप्टो करेंसी की कीमत भी बढ़ सकती है।
सरकारी नियम कानून
जैसे-जैसे क्रिप्टोकरेंसी आगे बढ़ रही है और अधिक मुख्यधारा में आ रही है, वैसे ही सरकारों के इसके लिए रूल सेट करने की संभावना बहुत अधिक होती जा रही है। दुनिया भर की कई सरकारें इस करेंसी को मान्यता नहीं देती। मगर वे क्रिप्टो बाजार को रेगुलेट करने के लिए कई कदम उठा रही हैं। क्रिप्टो को कंट्रोल करने का सबसे आसान तरीका टैक्स माना जाता है। ऐसे नियम और सीमाएं क्रिप्टो मार्केट के सेंट्रलाइजेशन को बढ़ाएंगी। इससे एक साथ क्रिप्टोकरेंसियों की कीमत प्रभावित होगी।
डिमांड-सप्लाई
ये सबसे सिंपल फंडा है। यदि क्रिप्टो की सप्लाई सीमित है, तो उसकी कीमत बढ़ेगी। अगर अधिक क्रिप्टो सप्लाई की जाएं तो कीमत घट जाएगी।
मार्केट कैपिटल
मार्केट कैप या मार्केट कैपिटलाइजेशन किसी कॉइन के मार्केट रेट को प्रभावित करने वाले फैक्टरों में शामिल है। बल्कि ये कहा जा सकता है कि क्रिप्टो के रेट और मार्केट कैपिटल एक दूसरे से जुड़े हैं। एक के घटने पर दूसरा घटेगा ही।
डिस्क्लेमर : यहां क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की सलाह नहीं दी गई है। क्रिप्टोकरेंसी में जोखिम होता है, इसलिए निवेश अपने जोखिम पर करें। निवेश करने से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
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काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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