ED की हीरो मोटो कॉर्प के चेयरमैन पवन मुंजाल पर कार्रवाई,अटैच हुई 24.95 करोड़ की प्रॉपर्टी
ED Attached Pawan Munjal Properties: ईडी ने अगस्त में मुंजाल और उनकी कंपनियों के खिलाफ पीएमएलए के तहत मामला दर्ज करने के बाद छापेमारी की थी। यह मामला राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के आरोप पत्र का संज्ञान लेने के बाद दायर किया गया था, जिसमें उन पर भारत से अवैध रूप से विदेशी मुद्रा ले जाने का आरोप लगाया गया था।
पवन मुंजाल पर बड़ा एक्शन
ED ने क्या कहा
केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि मुंजाल हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड के सीएमडी (चेयरपर्सन एवं प्रबंध निदेशक) और चेयरमैन हैं तथा उनकी कुल संपत्ति 24.95 करोड़ रुपये के करीब है।ईडी ने अगस्त में मुंजाल और उनकी कंपनियों के खिलाफ पीएमएलए के तहत मामला दर्ज करने के बाद छापेमारी की थी। यह मामला राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के आरोप पत्र का संज्ञान लेने के बाद दायर किया गया था, जिसमें उन पर भारत से अवैध रूप से विदेशी मुद्रा ले जाने का आरोप लगाया गया था। ईडी ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से दायर शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 54 करोड़ रुपये के बराबर की विदेशी मुद्रा को भारत से अवैध रूप से बाहर ले जाया गया था। जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई है।
क्या है आरोप
पवन मुंजाल पर आरोप है कि वह अवैध तरीके से देश से बाहर 54 करोड़ रुपये ले गये थे, जिसके बाद DRI और ED ने कार्रवाई की है। इससे पहले एजेंसी ने बीते अगस्त में मुंजाल के दिल्ली और गुरूग्राम के 12 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 25 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा, सोना और ज्वैलरी बरामद की गई थी। और अब संपत्ति कुर्क होना पवन मुंजाल के लिए बड़ा झटका है।
अदालत से राहत
इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन पवन कांत मुंजाल के खिलाफ विदेशी मुद्रा से संबंधित मामले में राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की कार्यवाही पर रोक लगा दी है।उच्च न्यायालय ने तीन नवंबर के एक अंतरिम आदेश में कहा कि मुंजाल को इन्हीं तथ्यों के आधार पर सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) ने बरी कर दिया गया है। पीठ ने आगे कहा कि इसकी जानकारी निचली अदालत और याचिकाकर्ता को नहीं दी गई थी। ऐसे में अंतरिम सुरक्षा पाने का मामला बनता है।
न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने कहा, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के तर्कों पर विचार करते हुए इस अदालत की राय है कि पहली नजर में मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। खासतौर से इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि समन आदेश बिना कोई कारण बताए पारित किया गया है।उच्च न्यायालय ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसरएमएम) के एक जुलाई, 2023 के आदेश के कार्यान्वयन और याचिकाकर्ता के संबंध में एसीएमएम के समक्ष लंबित सभी कार्यवाही पर सुनवाई की अगली तारीख 21 फरवरी, 2024 तक रोक लगा दी।
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