बीते हफ्ते सोयाबीन के अलावा अन्य तेल-तिलहन कीमतों में दिखी गिरावट

Edible Oil Price: जाड़े में मिठाई और नमकीन बनाने वालों की पाम पामोलीन तेल की मांग नहीं होती है। तेल संगठनों को सरकार को यह भी बताना चाहिये कि जून, जुलाई, अगस्त के महीनों में जो अत्यधिक आयात हो रहा था, वह नवंबर में घटने क्यों जा रहा है जब त्योहार और शादी-विवाह का मौसम सामने खड़ा है।

दाम में पिछले शनिवार को एक प्रतिशत की वृद्धि की गई।

Soybean and othes oilseeds prices: देश के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सोयाबीन तेल-तिलहन की मजबूती को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों में गिरावट का रुख देखने को मिला। बाजार सूत्रों ने कहा कि ब्राजील में मौसम की स्थिति ठीक न होने के कारण शिकॉगो में सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) के दाम में पिछले शनिवार को एक प्रतिशत की वृद्धि की गई। विदेशों में सोयाबीन के दाम भी मजबूत हुए हैं। इन सभी कारणों से सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में बीत सप्ताह सुधार आया।

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उन्होंने कहा कि अपनी खाद्य तेल जरूरत के लिए लगभग 55 प्रतिशत आयात पर निर्भर देश भारत में आयातक कांडला बंदरगाह पर आयातित खाद्य तेल (सोयाबीन) को लागत से कम दाम पर बेच रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह कांडला बंदरगाह पर बायोडीजल बनाने वालों ने दिसंबर अनुबंध का सूरजमुखी तेल 76.50 रुपये लीटर के भाव खरीदा है। आज आयातित सूरजमुखी तेल की स्थिति यह हो गयी है कि अब सस्ते की वजह से बायोडीजल बनाने वाली कंपनियां इसे खरीदने लगी हैं। इस तेल को बाजार का ‘राजा तेल’ बोला जाता है। लेकिन इस थोक कीमतों में आई गिरावट से किसी को राहत मिलती दिख नहीं रही। पेराई करने वाली तेल मिलें, तेल व्यापारी, आयातक, उपभोक्ता सभी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। थोक दाम घटने के बावजूद खुदरा बाजार में खाद्य तेलों में महंगाई कायम है और उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल रही।

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सूत्रों ने बताया कि उपभोक्ताओं को सरसों तेल लगभग 30 रुपये लीटर, मूंगफली तेल 50-70 रुपये लीटर और सूरजमुखी तेल लगभग 30 रुपये लीटर महंगा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों के संगठनों की तुलना में खाद्य तेल संगठन सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए प्रयास शायद ही करते दिखते हैं। इसका नतीजा यह निकला है कि देश की खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता निरंतर बढ़ती ही चली गई है।

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