India Employment Report 2024: भारत में रोजगार की स्थिति खराब, रिपोर्ट का दावा
India Employment Report 2024: भारत में रोजगार को लेकर भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 जारी की गई। जिसमें पता चला कि 2000-2019 के दौरान रोजगार दरों में सुधार हुआ है, फिर भी रोजगार की स्थिति खराब बनी हुई है।
देश में बढ़ी बेरोजगारी
India Employment Report 2024: मानव विकास संस्थान (IHD) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के लिए इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन ने मंगलवार (26 मार्च 2024) को 'भारत रोजगार रिपोर्ट 2024'जारी की। इसके मुताबिक 2000-2019 के दौरान लॉन्ग टर्म गिरावट के बाद हाल के वर्षों में भारत में ओवर ऑल लेबर फोर्स भागीदारी, वर्कफोर्स भागीदारी और रोजगार दरों में सुधार हुआ है, फिर भी रोजगार की स्थिति खराब बनी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि गैर-कृषि रोजगार की ओर धीमी गति से बदलाव हुआ है। स्व-रोजगार और अवैतनिक पारिवारिक कार्यों में महिलाओं की संख्या बढ़ी है। युवाओं के रोजगार की स्थिति वयस्कों के रोजगार की तुलना में खराब है। स्थिर या घटती मजदूरी और कमाई के साथ-साथ वयस्कों की तुलना में युवाओं में अवैतनिक पारिवारिक काम का अनुपात अधिक है।
हर आर्थिक समस्या के लिए सरकारी हस्तक्षेप की जरुरत नहीं
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक रिपोर्ट जारी करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि यह सोचना सही नहीं है कि हर सामाजिक या आर्थिक समस्या के लिए सरकारी हस्तक्षेप की जरुरत है। उन्होंने कहा कि उद्योगों को अधिक नियुक्तियां करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि हमें उस मानसिकता से बाहर निकलने की जरुरत है। कॉमर्शियल सेक्टर है, जो प्रोफिट एक्टिविटी में लगा हुआ है, जिन्हें भर्ती करने की जरुरत होती है।
रोजगार बढ़ाने के लिए कौशल विकास पर जोर
नागेश्वरन ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के साथ-साथ कौशल विकास पहल समेत रोजगार के लिए कई सुविधाजनक कदम उठाए हैं, जिसे उन्होंने फ्यूचरिस्टिक करार दिया। उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक विचारों का बंधक नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए अन्य सरकारी उपायों में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत नए कर्मचारियों के लिए नियोक्ता के योगदान का भुगतान शामिल है और नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) नियोक्ताओं को वेतन में कटौती की अनुमति देती है और इस प्रकार रोजगार सृजन पर पैसा बनाने का पक्ष नहीं लेती है। उन्होंने कहा कि कौशल पहल में सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि इंस्ट्रक्टर की उपलब्धता और ड्रॉपआउट दर, ये सभी मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की जरुरत है। बिल्कुल स्पष्ट रूप से सुधार की काफी गुंजाइश है और मुझे लगता है कि सरकार इसके प्रति सचेत है।
बेरोजगार में शिक्षित युवाओं की बढ़ी हिस्सेदारी
IHD-ILO रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 और 2019 के बीच युवा रोजगार और अल्परोजगार में वृद्धि हुई लेकिन महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट आई। हालांकि, युवाओं के बीच बेरोजगारी, विशेष रूप से माध्यमिक स्तर या हाईयर एजुकेशन वाले युवाओं में समय के साथ तीव्र हो गई है। 2022 में कुल बेरोजगार आबादी में बेरोजगार युवाओं की हिस्सेदारी 82.9 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में कहा गया कि सभी बेरोजगार लोगों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी भी बढ़ गई है। जो 2000 में 54.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 65.7 प्रतिशत हो गई है। शिक्षित (माध्यमिक स्तर या उच्चतर) बेरोजगार युवाओं में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हिस्सेदारी बड़ी (76.7 प्रतिशत) है। पुरुषों में 62.2 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या युवाओं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में शिक्षित युवाओं और महिलाओं के बीच तेजी से केंद्रित हो गई है।
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रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट ...और देखें
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