ETNOW.in Realty Conclave and Awards: लागत बढ़ी, किफायती घरों की लिमिट बढ़ाने की जरूरत, बोले NAREDCO के प्रेसिडेंट जी हरि बाबू

ETNOW.in Realty Conclave and Awards: ईटीनाउ डॉट इन रियल्टी कॉन्क्लेव और अवार्ड्स समारोह में नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (Naredco) के प्रेसिडेंट जी हरि बाबू ने भारत में किफायती आवास और रियल एस्टेट के ट्रेंड्स की वकालत की। साथ ही उन्होंने कहा 7-8 साल में कुछ शहरों में जमीन की कीमत में करीब तीन से चार गुना तक बढ़ोतरी हो गई है। इसके चलते बिल्डर भी किफायती मकान बनाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।

ईटीनाउ डॉट इन रियल्टी कॉन्क्लेव और अवार्ड्स समारोह में नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के प्रेसिडेंट जी हरि बाबू

ETNOW.in Realty Conclave and Awards: ETNOW.in रियल्टी कॉन्क्लेव और अवार्ड्स का आगाज हो गया है। इस मौके पर नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (Naredco) के प्रेसिडेंट जी हरि बाबू ने भारत में किफायती आवास और रियल एस्टेट के ट्रेंड्स की वकालत की। उन्होंने कहा कि सरकार को हाउसिंग यूनिट्स के लिए इनिशिएटिव या सब्सिडी शुरू करनी चाहिए ताकि आम आदमी घर खरीद सके। जी हरि बाबू ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में हम देख रहे हैं कि हर कोई किफायती घरों के बारे में बात कर रहा है। आठ-नौ साल पहले यह सभी के लिए घर था। वहां से फिर हमने एक और चीज जोड़ी। सभी के लिए टिकाऊ किफायती घर और बाद में यह जोड़ा गया कि सभी के लिए टिकाऊ खुशहाल किफायती घर हो। हम कई चीजों में किफायती घर जोड़ रहे हैं लेकिन वास्तविकता क्या है?

किफायती घरों की कीमतों का रेंज बढ़ाया जाए

वास्तव में वास्तविकता कुछ राज्यों में है। उन्होंने कहा कि मैं हैदराबाद, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से आता हूं, जहां 2022 में किफायती घरों की बिक्री करीब 6000 थी और 2023 में घटकर 2700 हो गई। इसके पीछे का कारण 600 वर्ग मीटर का रिस्ट्रिक्शन और 45 लाख रुपए का रिस्ट्रिक्शन भी है। ऐसे में पिछले 7-8 साल में जमीन की कीमत बढ़ने से 45 लाख रुपए में 600 वर्ग मीटर कारपेट एरिया का निर्माण मुश्किल हो रहा है। नारेडको के प्रसिडेंट ने कहा कि 7-8 साल में कुछ शहरों में जमीन की कीमत में करीब तीन से चार गुना तक बढ़ोतरी हो गई है। इसके चलते बिल्डर भी किफायती मकान बनाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। इसलिए हमने सरकार से 45 लाख रुपए को बढ़ाकर 60 लाख रुपए करने का अनुरोध किया क्योंकि 45 लाख रुपए का आंकड़ा करीब 7 साल पहले निर्धारित किया गया था। सामान्य महंगाई दर 6 प्रतिशत के आसपास चल रही है। इसलिए, पिछले आठ वर्षों में 6 प्रतिशत महंगाई दर अब की जरुरत से मेल नहीं खाती है।

आम आदमी के लिए बढ़ा ब्याज का बोझ

उन्होंने कहा कि एक और बात, कोविड से पहले ब्याज दरें करीब 6.25 प्रतिशत थीं। 25 लाख रुपए के ब्रैकेट के लिए 6.5 प्रतिशत से 6.75 प्रतिशत। अब आरबीआई ने इसे पांच गुना से छह गुना तक बढ़ा दिया है और आज यह करीब 8.75 प्रतिशत हो गया है। इसलिए करीब 45 लाख रुपए और 35 लाख रुपए से 40 लाख रुपए तक का लोन लेने पर, आम आदमी के लिए ब्याज का बोझ बहुत अधिक हो जाता है। 45 लाख रुपए वाले वर्ग के लोग अब पत्नी और पति एक लाख रुपए वेतन वाले हैं। वे लोग वास्तव में इस किफायती आवास को खरीद रहे हैं। उनके लिए मासिक ईएमआई बहुत महंगी पड़ रही है।

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