बैंकों के इन 8 शब्दों के जान गए मतलब, तो कभी नहीं खाएंगे धोखा
Bank Common Words And Their Meaning: बैंकिंग सेक्टर में क्रेडिट शब्द काफी प्रचलित है। इसका सीधा मतलब है कि अगर किसी बैंक अकाउंट में क्रेडिट की बात आती है, तो खाताधारक के अकाउंट में पैसा जमा किया गया है। यानी क्रेडिट मतलब पैसा जमा होना है।
बैंकिंग सेक्टर में इस्तेमाल होते हैं कई टेक्निकल शब्द
Bank Common Words And Their Meaning: देश में बैंकिंग सेक्टर की पहुंच तेजी से हर आदमी तक पहुंच रही है। और रोजमर्रा के लेन-देन में टेक्नोलॉजी का काफी महत्व हो गया है। ऐसे में किसी भी बैंक ग्राहक के लिए बैंकिंग सेक्टर में इस्तेमाल होने वाली कुछ खास शब्दों को जानना बेहद जरूरी है। जिनके जरिए बैंकिंग लेन-देन न केवल आसान हो जाता है, बल्कि यूजर्स को भी धोखा खाने का रिस्क कम हो जाता है।
क्रेडिट
बैंकिंग सेक्टर में क्रेडिट शब्द काफी प्रचलित है। इसका सीधा मतलब है कि अगर किसी बैंक अकाउंट में क्रेडिट की बात आती है, तो खाताधारक के अकाउंट में पैसा जमा किया गया है। यानी क्रेडिट मतलब पैसा जमा होना है।
डेबिट
ऐसा ही एक प्रचलित टर्म डेबिट है। इसके तहत खाताधारक के अकाउंट से पैसा निकाला जाता है। यानी किसी खाताधारक के अकाउंट से राशि काटी गई है।
LTV
लोन लेते समय LTV (लोन टू वैल्यू) की बेहद अहमियत होती है। अगर कोई बैंक कहता है कि वह घर या कार पर 80 फीसदी LTV देता है। तो इसका मतलब यह है कि बैंक घर या कार की कीमत के 80 फीसदी राशि तक लोन दे रहा है। बाकी 20 फीसदी राशि डाउन पेमेंट के रुप में ग्राहक को चुकानी पड़ेगी।
MAB
सभी सेविंग अकाउंट होल्डर के लिए MAB (मंथली एवरेज बैलेंस) को जानना बेहद अहम है। क्योंकि सरकारी से लेकर निजी बैंक सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने के लिए MAB की शर्तें तय करती है। और यदि कोई ग्राहक MAB के आधार पर बैलेंस नहीं मेंटेन कर पाता है तो उसे पेनॉल्टी देनी पड़ती है।
Prepayment Charges
आम तौर पर बैंक लोन समय से पहले चुकाने पर Prepayment Charges लेते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आपने पर्सनल लोन, कार लोन, टूव्हीलर लोन या दूसरा कोई लोन लिया है। और उसे आप तय समय से पहले चुका देते हैं, तो बैंक उस पर प्रीपेमेंट चार्ज लेते हैं। इसलिए समय से पहले लोन चुकाते वक्त इस बात की जरूर पड़ताल करनी चाहिए कि बैंक कितना प्रीपेमेंट चार्ज लेता है।
MCLR,BASE RATE, RLLR
यह सभी बैंक द्वारा कर्ज की दरें तय करने के रेट हैं। मौजूदा समय में बैंक MCLT और RRLR अपनी कर्ज की दरें तय कर रहे हैं। वहीं बेस रेट पुराना सिस्टम हैं। जिसके आधार पर बैंकों के कई पुराने ग्राहकों ने कर्ज ले रखा है। इसके अलावा हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां RPLR के आधार पर कर्ज की दरें तय करती हैं।
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