Kalpraj Dharamshi: झुनझुनवाला से कम नहीं Kalpraj Dharamshi, जानिए शेयर बाजार में निवेश की कहानी
Kalpraj Dharamshi Success Story: भारत में सबसे फेमस शेयर बाजार निवेशक रहे राकेश झुनझुनवाला। मगर उनके अलावा भी कई और निवेशक काफी पॉपुलर रहे हैं। इनमें कल्पराज धर्मशी भी शामिल हैं। उनकी निवेश यात्रा 1980 के दशक में शुरू हुई, जब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) क्षेत्रीय एक्सचेंजों के बीच प्रमुख एक्सचेंज था।

कल्पराज धर्मशी हैं सफल निवेशक
- कल्पराज धर्मशी हैं सफल निवेशक
- शेयर बाजार में पाई सफलता
- बताया कैसे होती थी ट्रेडिंग
Kalpraj Dharamshi Success Story: भारत में सबसे फेमस शेयर बाजार निवेशक रहे राकेश झुनझुनवाला। मगर उनके अलावा भी कई और निवेशक काफी पॉपुलर रहे हैं। इनमें कल्पराज धर्मशी भी शामिल हैं। उनकी निवेश यात्रा 1980 के दशक में शुरू हुई, जब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) क्षेत्रीय एक्सचेंजों के बीच प्रमुख एक्सचेंज था। उन दिनों बीएसई रोजाना दो घंटे काम करता था और सेंसेक्स सिर्फ 550 के आसपास कारोबार करता था। उस समय कोलगेट, कैस्ट्रॉल और आईटीसी टॉप "निवेश स्टॉक" में से थे। संक्षेप में कहें तो धर्मशी के करियर की शुरुआत एक ऐसे दौर में हुई जब शेयर "बेहद सस्ते थे।" हालांकि, उस दौर में निगेटिव पक्ष यह था कि गहन इक्विटी रिसर्च की कमी थी और लिक्विडिटी का लेवल कम था।
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चार प्रमुख चरणों से गुजरा शेयर बाजार
ईटी नाउ की रिपोर्ट के अनुसार एक प्रोग्राम में धर्मशी ने कहा कि 1991 में भारत में शुरू हुए आर्थिक सुधार और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भारतीय बाजार के खुलने के बाद, स्थानीय शेयर बाजार एक दशक से अधिक समय तक चार प्रमुख चरणों से गुजरा, जो 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकवादी हमलों तक जारी रहा।
तेजी और गिरावट जारी रही
धर्मशी 1980 के दशक के मध्य से लेकर हर्षद मेहता के समय आई तेजी तक को “कुछ भी चलता है” वाले दौर के रूप में बताते हैं। उनके अनुसार मई 1992 से 1997 के अंत तक बाजारों में एक भयानक दौर था।
इसके बाद टीएमटी रैली का दौर आया, खास तौर पर 2000 तक डॉटकॉम का दौर, उसके बाद 2001 में बाजार में गिरावट आई जो केतन पारेख स्टॉक घोटाले के उजागर होने के साथ शुरू हुई और 9/11 के हमलों के बाद भी जारी रही।
लिक्विडिटी थी बहुत कम
धर्मशी के अनुसार 2000 के दशक में भी लिक्विडिटी बहुत कम थी। धर्मशी उस दौर का एक किस्सा बताते हैं, जब वे साउथ मुंबई के CCI क्लब में अपने दोस्तों के साथ मैकडॉवेल को खरीदने के बारे में चर्चा कर रहे थे। मैकडॉवेल यूनाइटेड स्पिरिट्स का पुराना नाम है, जिसका स्वामित्व अब डियाजियो के पास है।
उनका कहना है कि मैकडॉवेल की मार्केट कैप 200 करोड़ रुपये थी और उस समय आप भारत के आधे लिकर मार्केट पर दांव लगा सकते थे।
केमिकल और रियल एस्टेट
धर्मशी के अनुसार केमिकल और रियल एस्टेट जैसे कई सेक्टर, जिन्हें पहले नजरअंदाज किया जा रहा था, अब वैल्यू ऑफर कर रहे हैं। उनके मुताबिक पिछले पांच वर्षों में, चीन प्लस वन रणनीति ने भारत के केमिकल की वैल्यू बढ़ाई है। रियल्टी को नजरअंदाज किया गया था, लेकिन अब यह भारतीय इक्विटी के बाजार पूंजीकरण का लगभग 1% है।
कामयाबी के लिए बताए टिप्स
धर्मशी के अनुसार निवेश को बुद्धि का काम बनाएं, न कि बुद्धिमत्ता का। किसी भी कारोबार की वैल्यूएशन करें, सिनेरियो बनाएं। प्रमोटर और उनकी ईमानदारी और क्षमता का आकलन करें। निवेश करें और धैर्य रखें।
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