ये बिजनेसमैन कहलाते हैं गांधी के 5वें बेटे, परिवार ने भारतीयों को दिया 'हमारा बजाज'
Fifth Son of Mahatma Gandhi: 4 नवंबर 1889 को महाराष्ट्र के वर्धा में जन्मे जमनालाल की शादी सिर्फ 12 साल की उम्र में हो गई थी। उन्होंने 1906 में सिर्फ 17 साल की उम्र में वर्धा में अपना फैमिली बिजनेस संभाला और कई कारखाने और कंपनियां स्थापित कीं।
महात्मा गांधी के पांचवें पुत्र कौन हैं
- जमनालाल बजाज हैं गांधीजी के 5वें बेटे
- बजाज ग्रुप के हैं फाउंडर
- आजादी के आंदोलनों में दिया योगदान
Fifth Son of
जमनालाल बजाज फाउंडेशन के अनुसार वे एक मानवतावादी, स्वतंत्रता सेनानी, परोपकारी, समाज सुधारक और महात्मा गांधी के समर्पित अनुयायी थी। खास बात यह है कि उन्हें महात्मा गांधी का फाइनेंसर भी माना जाता है, जिन्होंने आजादी के आंदोलनों में गांधीजी की आर्थिक मदद की थी।
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17 साल की उम्र में बिजनेस संभाला
4 नवंबर 1889 को महाराष्ट्र के वर्धा में जन्मे जमनालाल की शादी सिर्फ 12 साल की उम्र में हो गई थी। उन्होंने 1906 में सिर्फ 17 साल की उम्र में वर्धा में अपना फैमिली बिजनेस संभाला और कई कारखाने और कंपनियां स्थापित कीं। आज, जमनालाल द्वारा 1926 में शुरू किया बजाज ग्रुप भारत के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप्स में से एक है।
बजाज के घरेलू उपकरण भी घर-घर में मिल जाएंगे। फोर्ब्स के अनुसार बजाज परिवार की नेटवर्थ 2022 में 1.20 लाख करोड़ रु थी।
20 एकड़ जमीन की थी दान
जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे तो जमनालाल बजाज को उनकी बातें पसंद आईं। उन्होंने चाहा कि गांधीजी वर्धा को अपने स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र बनाएं। इसके लिए उन्होंने गांधीजी को 20 एकड़ जमीन दान में दी। बाद में गांधीजी ने उन्हें अपने बेटे के रूप में गोद ले लिया।
उन्होंने लगभग दो दशकों तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) के लिए एक रेगुलर फाइनेंसर और बैंकर के तौर पर भी काम किया। कहा जाता है कि जमनालाल ने अपने जीवन में लगभग 25 लाख रुपये दान में दिये, जो आज के हिसाब से इससे कई अधिक होंगे।
परिवार ने दिया 'हमारा बजाज'
आपने अपने बचपन में टीवी पर एक विज्ञापन जरूर देखा होगा, जिसकी टैगलाइन थी 'हमारा बजाज'। ये बजाज के चेतक स्कूटर (Bajaj Chetak Scooter) का विज्ञापन था, जिसे 1972 में पेश किया गया। उस समय बजाज ग्रुप के चेयरमैन राहुल बजाज (Rahul Bajaj) थे, जो जमनालाल के पुत्र कमलनयन बजाज (Kamalnayan Bajaj) के बेटे हैं।
आजादी में योगदान
जमनालाल ने असहयोग आंदोलन (1920-22), नागपुर झंडा सत्याग्रह (1923), साइमन कमीशन का बहिष्कार (1928) और दांडी मार्च (1930) में हिस्सा लिया। 52 वर्ष की आयु में जमनालाल ने 11 फरवरी 1942 को अपने वर्धा स्थित घर पर अंतिम सांस ली।
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