Economic Survey 2024 Highlights: आर्थिक सर्वे हुआ पेश, 6.5-7 फीसदी रहेगी ग्रोथ रेट, जानें अहम बातें

Indian Economic Survey 2024 Highlights: वित्त मंत्री ने संसद में आर्थिक सर्वे पेश कर दिया है, जिसमें विकास दर के 6.5-7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। वित्त वर्ष 2024 में भारत की वास्तविक जीडीपी 8.2 प्रतिशत बढ़ी, जो वित्त वर्ष 2024 की चार में से तीन तिमाहियों में 8 प्रतिशत से अधिक रही।

Economic Survey 2024 Highlights: आर्थिक सर्वे हुआ पेश, 6.5-7 फीसदी रहेगी ग्रोथ रेट, जानें अहम बातें
मुख्य बातें
  • आर्थिक सर्वे हुआ पेश
  • वित्त मंत्री ने संसद में किया पेश
  • 6.5-7 फीसदी रहेगी ग्रोथ रेट
Economic Survey 2024 Highlights: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 (Economic Survey 2024) पेश कर दिया है। मंगलवार को वह केंद्रीय बजट भी पेश करेंगी। सर्वे के अनुसार अप्रैल के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के मुताबिक वर्ष 2023 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत रही है। विभिन्न देशों में विकास के अलग-अलग पैटर्न उभर कर सामने आए हैं। देशों के विकास प्रदर्शन में भारी अंतर घरेलू संरचनात्मक मुद्दों, भू-राजनीतिक संघर्षों के असमान प्रभाव और मौद्रिक नीति के सख्त होने के प्रभाव के कारण रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था ने तमाम बाहरी चुनौतियों के बावजूद वित्त वर्ष 23 में बनाई इस गति को वित्त वर्ष 24 में भी जारी रखा। वित्त वर्ष 2024 में भारत की वास्तविक जीडीपी 8.2 प्रतिशत बढ़ी, जो वित्त वर्ष 2024 की चार में से तीन तिमाहियों में 8 प्रतिशत से अधिक रही। समष्टि आर्थिक (Macroeconomics) स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने से यह सुनिश्चित हुआ कि बाह्य चुनौतियों का भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा।
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कितनी रहेगी ग्रोथ रेट (India GDP Growth Rate)

आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सर्वेक्षण में बताया गया कि वित्त वर्ष 2024 में वास्तविक जीडीपी वित्त वर्ष 2019-20 के लेवल से 20 प्रतिशत अधिक रही।

बेरोजगारी दर में आई गिरावट

सर्वे के अनुसार बीते 6 छह वर्षों में भारतीय श्रम बाजार संकेतकों में सुधार हुआ है और 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है। वहीं सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि वर्कफोर्स में युवाओं की भागीदारी बढ़ने के साथ युवा बेरोजगारी दर 2017-18 में 17.8% से घटकर 2022-23 में 10% रह गई है।
सर्वेक्षण के मुताबिक स्किल गैप एक गंभीर चुनौती है। 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, फिर भी कई लोगों में आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी स्किल की कमी है। इस समय केवल 51.25% युवा ही रोजगार के योग्य माने जाते हैं, हालांकि इसमें पिछले वर्षों में सुधार हुआ है।

महंगाई का क्या है हाल

सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार के समय पर नीतिगत हस्तक्षेप और भारतीय रिजर्व बैंक के उपायों ने खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) को 5.4 प्रतिशत पर बनाए रखने में मदद की, जो महामारी के बाद का सबसे निचला स्तर है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वैश्विक संकटों, सप्लाई चेन में अड़चन और मानसून की अनिश्चितताओं से उत्पन्न होने वाले मुद्रास्फीति के दबाव को प्रशासनिक और मौद्रिक नीति के जरिए कुशलतापूर्वक मैनेज किया गया है। नतीजे में वित्त वर्ष 23 में औसतन 6.7 प्रतिशत के बाद, वित्त वर्ष 24 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई, जो वर्ल्ड एवरेज से कम है।

कितना बढ़ा निर्यात

विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स निष्पादन सूचकांक में भारत की रैंकिंग में छह स्थानों का सुधार हुआ है, जो 139 देशों में 2018 में 44वें स्थान से बढ़कर 2023 में 38वें स्थान पर पहुंच गई है। भारत निर्यात के लिए और अधिक गंतव्य जोड़ रहा है, जो निर्यात के क्षेत्रीय विविधीकरण का संकेत देता है।
वित्त वर्ष 24 में भारत का सेवा निर्यात 4.9 प्रतिशत बढ़कर 341.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसमें मुख्य रूप से आईटी/सॉफ्टवेयर सेवाओं और ‘अन्य’ व्यावसायिक सेवाओं का योगदान रहा। भारत विश्व स्तर पर टॉप रेमिटेंस (विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा भारत भेजा जाने वाला पैसा) प्राप्तकर्ता देश रहा, और यह राशि 2023 में 120 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। माल आयात में संयत स्थिति और सेवाओं के निर्यात में वृद्धि ने भारत के चालू खाता घाटे में सुधार किया है, जो वित्त वर्ष 24 में 0.7 प्रतिशत कम हुआ।

विदेशी निवेशकों ने कितना किया निवेश

भारत ने मजबूत आर्थिक विकास, स्थिर कारोबारी माहौल और निवेशकों के बढ़ते विश्वास के समर्थन से वित्त वर्ष 24 में सकारात्मक शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश अंतर्वाह देखा। मार्च 2024 के अंत में, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वित्त वर्ष 25 के लिए इसके 10 महीने से अधिक के अनुमानित आयात और विदेशी कर्ज के 98 प्रतिशत को कवर करने के लिए पर्याप्त था।
भारत का विदेशी कर्ज पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रहा है, जहाँ मार्च 2024 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद में विदेशी कर्ज का अनुपात 18.7 प्रतिशत है।
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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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